Saturday, July 27, 2024

    गाड़ी चोर रोज लगाते हैं दिल्ली में सेंचुरी, कैसे काम करता है गैंग? आप कैसे बचें, जानिए सबकुछ

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    नई दिल्लीः दिल्ली में 2021 तक एक करोड़ 22 लाख 53 हजार गाड़ियां रजिस्टर्ड थीं। इनकी तादाद 2022 में और ज्यादा हो गई है। गाड़ियों चोरी का ग्राफ भी चढ़ा है। साल 2020 में हर रोज औसतन 86 गाड़ियां चोरी होती थीं, जिसका 2021 में 96 तक तक छू गया। पुलिस की बरामदगी में इजाफा हुआ है। ये 2020 में 9 से ज्यादा था तो 2021 में 10 को पार कर गया। इस साल जरूर पुलिस ने बरामदगी का आंकड़ा 15 तक पहुंचा दिया है। पुलिस की तरफ से कई गैंगों का भंडाफोड़ किया गया है। कई गाड़ी चोर पकड़े हैं, लेकिन ये धंधा रुकने का नाम नहीं ले रहा है।

    कब-कब होती है गाड़ी चोरी
    पुलिस अफसरों ने बताया कि अब तक पकड़े गए गैंगों का अलग-अलग ट्रेंड देखने को मिला। कुछ गैंग सुबह 5:00 बजे से 8:00 बजे तक मॉर्निंग वॉकर को निशाना बनाते हैं। लोग गाड़ी पार्क कर जिम या पार्क में चले जाते हैं तो चोर उड़ा लेते हैं। कुछ गैंग दोपहर 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक ऑफिस टाइम पर रोड पर खड़ी गाड़ियों को निशाना बनाते हैं। अधिकतर गैंग रात 11:00 बजे से सुबह 4:00 बजे तक सन्नाटे में काम को अंजाम देना सेफ मानते हैं।

    अब पांच मिनट में गाड़ी साफ
    ऑटोमेटिक होने से चोरों के लिए अब गाड़ी उड़ाना आसान हो गया है। चाइनीज ऐप के जरिए गाड़ी पर लगे बारकोट को क्रैक करना हो या फिर की-मेकिंग टैब से नई चाबी बनाना, इन सब में चोर माहिर हैं। वो पीछे का छोटा शीशा तोड़ कर तारों के जरिए गाड़ी के दरवाजे का लॉक खोल लेते हैं। इसके बाद बनाई गई चाबी से गाड़ी को ले उड़ते हैं। पुलिस अफसर बताते हैं कि इस सब में महज पांच मिनट का समय लगता है, जबकि पहले गाड़ी चोरी करना ज्यादा मुश्किल था।

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    हाई सिक्योरिटी प्लेट का तोड़
    पुलिस अफसर बताते हैं कि चोरी रोकने के लिए हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट की शुरुआत हुई थी। चोरों ने इसका भी तोड़ खोज रखा है। उन्हें जिस ब्रैंड की गाड़ी चोरी करनी होती है, उसी ब्रैंड की गाड़ी की नंबर प्लेट कहीं और से तोड़ लेते हैं। इसके बाद उस नंबर प्लेट को फिट करने के लिए गाड़ी के आगे-पीछे फ्रेम बना लेते हैं, जिस पर वो चोरी की गई हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट फिट कर लेते हैं। जिसकी सिर्फ नंबर प्लेट चोरी होती है, वो केस दर्ज नहीं कराता है।

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    क्या होता है इन गाड़ियों का
    हादसे में डैमेज गाड़ियों को इंश्योरेंस कंपनियां कबाड़ में बेचती हैं। दस्तावेज भी देती हैं। बड़े गिरोह इस गाड़ी को खरीद लेते हैं। गैंग मेंबरों को इसी ब्रैंड की गाड़ी चोरी करवाते हैं। चोरी की गाड़ी में कबाड़ वाली के चेसिस और इंजन नंबर डाल देते हैं। यानी इसे कबाड़ वाली गाड़ी की पहचान देते हैं। इसके बाद दूसरे राज्यों में महंगे दामों में बेच देते हैं। पुरानी गाड़ी के असली दस्तावेज चोरी की गाड़ी के खरीदार को सौंप दिए जाते हैं। बाकी चोरी की गाड़ियों को काट (डिस्मेंटल) दिया जाता है, जिनके पुर्जे बाजार में बेचे जाते हैं।

    सरगना करते हैं करोड़ों में कमाई
    पुलिस अफसर बताते हैं कि एक गाड़ी चोरी करने में चोर को महज एक से दो लाख रुपये ही मिलता है। सबसे ज्यादा फायदा बड़े गैंग के सरगना उठाते हैं। चोरी करने के बाद गाड़ी बेचने या काटने के अलावा पुर्जों को मार्केट में खपाने का काम गैंग सरगना ही करते हैं। इसलिए वो करोड़ों रुपये कमाते हैं। दिल्ली में 25 से 30 बड़े गैंग सक्रिय हैं, जो ऑर्गनाइज्ड तरीके से इस काम को कर रहे हैं। छोटे-छोटे सैकड़ों गिरोह हैं, जो इन शातिर सरगनाओं को गाड़ी ठिकाने लगाने के लिए देते हैं।

    कहां-कहां लगती हैं ठिकाने
    मेरठ के सोतीगंज में भले ही अब कटाई का कारोबार बंद हो गया है। मुजफ्फरनगर, मुरादनगर, मुरादाबाद, संभल, बुलंदशहर, पुणे, जयपुर, उदयपुर, जोधपुर, उत्तरकाशी, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर तक काटने का काम चलता है। दिल्ली के नारायणा और सुंदर नगरी में भी कुछ मामले सामने आए हैं। नई पहचान देकर चोरी की गाड़ियों को नॉर्थ ईस्ट के राज्यों, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के अलावा नेपाल और बांग्लादेश तक में बेचा जाता है।

    चोरी से बचने के उपाय

    • गाड़ी को हमेशा पार्किंग में खड़ा करें
    • सिक्योरिटी अलार्म जरूर लगवाएं
    • गियर और वील लॉक लगाकर रखें
    • कार के शीशों पर नंबर लिखवाएं
    • जीपीएस सिस्टम लगाना ना भूलें


    गाड़ी चोरी होने की वजह

    • कॉलोनियों के बाहर सूनसान में खड़ा करना
    • रेजिडेंशल-कमर्शल एरिया में पार्किंग ना होना
    • कम खतरे में अपराधियों को ज्यादा मुनाफा
    • दूसरे राज्यों पार्ट्स की काफी डिमांड होना


    ऑनलाइन दर्ज कराएं FIR
    गाड़ी चोरी होने पर सबसे पहले 112 पर कॉल करें। थाने से कोई पुलिसकर्मी आता है तो ठीक है। वरना दिल्ली पुलिस की वेबसाइट से ऑनलाइन एफआईआर कराएं। पुलिस फाइनल रिपोर्ट एक महीने के भीतर इलाका मैजिस्ट्रेट के सामने लगा देती है, जहां मंजूरी मिलने में अधिकतम एक महीना लग सकता है। इसकी कॉपी वहां से शिकायती को मिलती है, जो इंश्योरेंस क्लेम के लिए जरूरी होता है।

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    वारदात के लिए बाइक चोरी
    पुलिस अफसर बताते हैं कि राजधानी में 70 फीसदी टू-वीलर चोरी शातिर बदमाश करते हैं, जो इनका इस्तेमाल लूट, झपटमारी, चोरी और कत्ल तक में करते हैं। इसके बाद बाइक को लावारिस छोड़ देते हैं। मेवाती गैंग बेचने के लिए टू-वीलर पर ज्यादा चुराते हैं। पुर्जे बेचने का भी कारोबार चलता है। क्राइम ब्रांच ने इस साल मई में गोकुलपुरी मार्केट में छापा मार 207 इंजन रिकवर किए थे। छह आरोपी पकड़े, जो हजार से ज्यादा टू-वीलर उड़ा चुके थे।

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    कैसे लग सकती है लगाम
    1.आईपीसी की धारा 379 के तहत मुकदमा दर्ज होता है। ये गैरजमानती अपराध है। तीन महीने से तीन साल की सजा का प्रावधान है। जमानत भी जल्दी मिल जाती है। शिकायती ट्रायल के दौरान समझौता कर लेते हैं। शातिर बदमाश सालों तक खुलकर धंधा करते हैं। पुलिस अफसर कहते हैं कि आदतन चोरों के लिए सख्त कानून बनाने की जरूरत है।
    2. इंश्योरेंस कंपनियां कैश लॉस गाड़ियों (डैमेज गाड़ियां, जिनको ठीक कराने में काफी खर्चा आता है) को कबाड़ में बेचती हैं, जिनके साथ कागज भी दिए जाते हैं। अगर डैमेज गाड़ी के साथ कागज देने पर रोक लग जाए तो चोरी की गाड़ियों को इनकी पहचान देने वाला शातिर तरीका खत्म हो जाएगा। गाड़ी चोरी पचास फीसदी तक रुक सकती है।

    रोकथाम केलिए क्या करती है पुलिस

    1. गाड़ी चोरी से ग्रस्त एरिया में पट्रोलिंग
    2. ऐसे इलाकों में पिकेट लगाकर चेकिंग
    3. उपकरण लगाने के लिए जागरूक करना
    4. चोरी की गाड़ी की डिटेल ऐप में डालना
    5. पार्किंग अटेंडेंट को जागरूक करना
    6. इंश्योरेंस कंपनियों से समन्वय बैठक


    चोरी हुई गाड़ियों का लेखा-जोखा

    Automobile Theft Delhi


    नोएडा में चार गाड़ी रोज उड़ाते हैं चोर
    दिल्ली के अलावा एनसीआर का इलाका भी गाड़ी चोरों के रेडार पर रहता है। नोएडा पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, हर महीने 120 गाड़ी चोरी के केस दर्ज हो रहे हैं। ज्यादातर स्क्रैप में बेच जाते हैं। एडीसीपी नोएडा आशुतोष द्विवेदी के मुताबिक, हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट गाड़ियों ढूंढने में मददगार साबित होते हैं। लेकिन ये कहना मुश्किल है कि इससे चोरी में कमी आई है।

    गाजियाबाद में रोजाना 7 गाड़ी चोरी
    गाजियाबाद में हर दिन सात गाड़ी चोरी होती हैं। पुलिस के रिकॉर्ड में इस साल अगस्त तक 243 दिन में 1790 गाड़ियां चोरी हुईं, जिनमें 464 रिकवर हुए। बरामदगी करीब 26 फीसदी रही। साल 2021 में 2923 गाड़ियां चोरी हुई थीं। सोती गंज में सख्ती के बाद जिले के गाड़ी काटने वाले गैंग भी एक्टिव हुए हैं। इस साल पुलिस ने 443 गाड़ी चोरों को गिरफ्तार किया है।

    फरीदाबाद: ऐसे चोरी करता है ‘कुंडी वाला चोर’

    फरीदाबाद में रोज दर्जन चोरियां
    फरीदाबाद में रोजाना 10 से 12 गाड़ी चोरी हो रही हैं। बाइक और ईको कार के अलावा फॉर्च्यूनर, क्रेटा, बीएमडब्ल्यू और ऑडी जैसी लग्जरी गाड़ियां टारगेट पर रहती हैं। हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट आने से गाड़ी चोरी पर खास असर नहीं पड़ा है। साल 2021 में 3213 गाड़ियां चोरी हुईं, जिनमें से 654 ही बरामद हो सकीं। अधिकतर गाड़ियां मेवात और दिल्ली में खपाई जाती हैं। गाड़ियों को मणिपुर के रास्ते म्यांमार तक भेजने वाला गैंग पिछले साल पकड़ा गया था।

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