फरवरी 2025 में भारत की खुदरा महंगाई दर सात महीने के निचले स्तर 3.6 फीसदी पर आ गई थी। मुख्य रूप से खाने-पीने के सामानों की कीमतों में तेज गिरावट के कारण महंगाई दर नीचे आई।
होम लोन, पर्सनल लोन, कार लोन और एजुकेशन लोन समेत सभी तरह के कर्ज पर आने वाले समय में ब्याज दरें घट सकती हैं। इससे आपके मौजूदा लोन की EMI का बोझ भी हल्का हो जाएगा। दरअसल, आरबीआई द्वारा प्रमुख ब्याज दर रेपो रेट में कटौती करने की उम्मीदें बढ़ रही हैं। एसबीआई रिसर्च Ecowrap के अनुसार, आरबीआई साल 2025 में रेपो रेट में कुल 0.75% की कटौती कर सकता है। आगे होने वाली अप्रैल, जून और अक्टूबर की पॉलिसी बैठकों में हर बार 0.25 फीसदी की कटौती होने की संभावना है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में खुदरा महंगाई के 3.9 फीसदी रहने का अनुमान है। वहीं, पूरे साल की औसत महंगाई दर 4.7 फीसदी रहने का अनुमान है। महंगाई में आई इस गिरावट से आरबीआई को रेपो रेट कट करने के लिए सपोर्ट मिलेगा।
अप्रैल और जून में लगातर घट सकती है ब्याज दर
हालांकि, वित्त वर्ष 2026 में महंगाई के 4 फीसदी से 4.2 फीसदी के बीच रहने की उम्मीद है, जिसमें कोर महंगाई 4.2 फीसदी से 4.4 फीसदी के बीच रहेगी। कंट्रोल्ड महंगाई को देखते हुए एसबीआई रिसर्च एनालिस्ट्स का मानना है कि इस सायकल में आरबीआई रेपो रेट को 0.75 फीसदी घटा सकता है। आरबीआई अप्रैल और जून 2025 में लगातार रेपो रेट में कटौती कर सकता है। इसके बाद रेट कट का नया दौर अक्टूबर 2025 में शुरू हो सकता है। एसबीआई रिसर्च Ecowrap ने कहा, “इस महीने और आगे के महीनों में धीमी महंगाई दर के साथ हमें उम्मीद है कि इस सायकल में रेपो रेट में कुल 0.75 फीसदी की कटौती हो सकती है। अगली अप्रैल और जून की पॉलिसी बैठक में लगातार रेट कट होने की उम्मीद है। इसके बाद रेट कट का नया सायकल अक्टूबर 2025 से फिर से शुरू हो सकता है।”
7 महीने के लो पर महंगाई दर
फरवरी 2025 में भारत की खुदरा महंगाई दर सात महीने के निचले स्तर 3.6 फीसदी पर आ गई थी। मुख्य रूप से खाने-पीने के सामानों की कीमतों में तेज गिरावट के कारण महंगाई दर नीचे आई। खाद्य और पेय पदार्थों की महंगाई 3.84 फीसदी तक कम हो गई, क्योंकि सब्जियों की कीमतों में काफी गिरावट आई। लहसुन, आलू और टमाटर की कीमतों में बड़ी गिरावट के कारण 20 महीनों में पहली बार वेजिटेबल इन्फ्लेशन निगेटिव हो गई। एक्सपर्ट्स का मानना है कि महाकुंभ ने लहसुन की खपत को कम कर दिया, जबकि उपवास अवधि के दौरान बढ़ी हुई मांग के कारण फलों की कीमतों में उछाल आया।