Thursday, July 24, 2025

          आज भी प्रासंगिक हैं राजिम का लोमश ऋषि आश्रम

          Must read

            लोमश ऋषि आश्रम के संदर्भ में है कई किंवदंतिया

            राजिम। छत्तीसगढ़ के प्रयाग कहे जाने वाले धर्म नगरी राजिम में भगवान वास करते हैं। इसका साक्षात उदाहरण भगवान श्री राजीव लोचन और श्री कुलेश्वर नाथ महादेव है, जिसके आशीर्वाद से हर वर्ष राजिम मेला बिना किसी रूकावट के संपन्न होता है। इसके साथ ही प्रयाग क्षेत्र में स्थित लोमश ऋषि आश्रम है। लोमश ऋषि आश्रम के संदर्भ में कई किंवदंतियाँ है।

            मान्यता है कि आज भी लोमश ऋषि सबसे पहले भगवान राजीव लोचन भगवान की पूजा अर्चना करते हैं। इसके कुछ साक्ष्य परिणाम यहां के पुजारियों को परिलक्षित हुए। कहा जाता है कि भगवान श्री राम वन गमन के दौरान कुछ दिनों तक राजिम स्थित लोमष ऋषि के आश्रम में ठहरे थे और यहीं पर चित्रोत्पला गंगा महानदी की रेत में शिवलिंग बनाकर पूजा-आराधना की थीं जिन्हें वर्तमान में कुलेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता हैं। इस शिवलिंग में बने खुरदुरे निशानों को सीता के हस्त कमल के निशानों की संज्ञा दी जाती हैं। राजिम के कुछ बुजुर्गो ने यहां तक दावा किया है कि सुबह नदी में कभी भी अचानक लंबे पैरो के निशान दिखाई देते हैं जो संभवतः लोमष ऋषि के ही हो सकते हैं। आज भी राजिम में लोमश ऋषि का आश्रम विद्यमान है। यहां उनकी एक आदमकद प्रतिमा स्थापित हैं जिनकी नित्य पूजा अर्चना वहां के पुजारी किया करते हैं। यहां पर बेल के अत्यधिक पेड़ होने के कारण इसे बेलाही घाट भी कहा जाता हैं। प्राकृतिक दृष्टि से भी यह बहुत मनोहारी है यहां आने से एक प्रकार से शांति का अनुभव होता है। आश्रम के प्रवेश द्वार ऐसे बने है जैसे वे हर दर्शनार्थियो के स्वागत के लिए खड़े है। उनके दोनों किनारे में बने बाग-बगीचे विभिन्न रंगो में खिले फूल मन को अति प्रसन्न करते है। राजिम कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह आस्था, श्रद्धा और आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। यह आकर मेलार्थी घंटो समय व्यतीत करता है और अपनी थकान मिटाकर अपनी गणतव्य की आगे बढ़ते हैं।

              More articles

              - Advertisement -

                    Latest article