राजिम कुंभ के मुख्य मंच में लोक रंजनी डॉ पुरूषोत्तम चंद्राकर की टीम द्वारा धमाकेदार प्रस्तुति दी
राजिम। राजिम कुंभ कल्प मेला के पांचवे दिन मुख्य मंच पर राकेश तिवारी द्वारा रचित लोक नृत्य नाटिका ‘‘छत्तीसगढ़ में राम’’ की प्रस्तुति ने दर्शकों को भाव विभोर कर दिया। राकेश तिवारी की टीम द्वारा नाटिका में बताया कि भगवान श्री राम छत्तीसगढ़ वासियों का भांचा है। इस नाटिका में चंदखुरी का विशेष उल्लेख किया गया। राम, लक्ष्मण और सीता वनवास के समय राजिम से बस्तर होते हुए पंचमढ़ी जाते है उनके साथ बस्तर वासी भी जहां जाते थे लेकिन भगवान राम कहते है कि मुझे ही पिताजी से आज्ञा मिली है कि उसी का पालन कर रहा हूं।
इस लोक नाटिका को लोक भावुक होकर देखते रहें इस नाटिका को विभिन्न गीतो के माध्यम से राम नाम की महिमा का बखान किया गया। जिसमें फागुन गीत के धुन पर प्रभु मोर विराजे अवध में…. गीत को सुनकर दर्शक भी राम-राम जपने लगे। कार्यक्रम की अगली कड़ी रायगढ़ से पहुंचे ललित यादव ने सुगम संगीत की शुरूआत की। मिले सुर मेरा तुम्हारा तो सुर बने हमारा…. जैसे गीतो की प्रस्तुति ने समा बांधा। प्रांजल की टीम ने राजा भरथरी की जन्म की कहानी गीतों के माध्यम से सुनाई। मुख्य मंच पर अंतिम प्रस्तुति लोक रंजनी डॉ पुरूषोत्तम चंद्राकर द्वारा धमाकेदार प्रस्तुति दी। जिसमें गणेश वंदना से क्रमशः छत्तीसगढ़ के राज्य गीत स्व. नरेन्द्र देव वर्मा के स्वरचित गीत अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार… तोर बिना कैसे कटही जिंदगी ह……. मया होगे रे……. घेरी बेरी तोर सुरता आथे….. इन गीतो में पहले तो कलाकार लयबद्ध नृत्य और पारंपरिक वेशभूषा धारण कर प्रस्तुत किए। कलाकारों का सम्मान स्थानीय जनप्रतिधि, अधिकारियों एवं केन्द्रीय समिति के सदस्यों द्वारा किया गया।