Wednesday, February 5, 2025

          सालों से इन गांवों में नहीं हुई होलिका दहन, ना खेली जाती है होली, जानिए इस परंपरा को लेकर क्या कहते हैं ग्रामीण

          Must read

          इन गांवों में सहजपानी, सरगुनाभांठा, बम्हनीद्वार, गौरबहाली, पतेरापाली, बांजीबहाल, बागद्वारी, कस्तूरा बहाल, घुंचापाली, पड़कीपाली और बेलटिकरी शामिल है. यहां कई वर्षों से होली नहीं खेली जा रही है और ना ही होलिका दहन किया जाता है. होली पर्व के दिन गांव में सन्नाटा पसरा रहता है.ब्लॉक के अंतिम छोर में बसे ग्राम पंचायत पतेरापाली के आश्रित ग्राम सहजपानी के ग्रामीण सुरेंद्र प्रधान, संजय यादव आदि लोगों ने बताया कि उनके दादा, परदादा के समय से उनके गांव में होली नहीं खेली जाती और ना ही होलिका दहन किया जाता है. इसके पीछे कारण क्या है? इसकी जानकारी किसी को नहीं है. सहजपानी के अलावा उनके ही पंचायत के पतेरापाली, बम्हनीद्वार, गौरबहाली, सरगुनाभांठा में भी होली नहीं खेली जाती है, जबकि उनके पंचायत के एकमात्र ग्राम समदरहा में होलिका दहन किया जाता है और होली भी खेली जाती है.

          ग्रामीणों ने बताया कि घर-घर पूजा के लिये गुलाल का उपयोग किया जाता है, जिसे तिलक के रूप में लगाते हैं, लेकिन गांव में ना तो होली खेली जाती है और ना ही होलिका दहन होता है. ग्रामीण बताते हैं कि होलिका दहन के दिन कुछ घटना घटी होगी, जिसकी जानकारी 3 पीढ़ी के लोगों को भी नहीं है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि लगभग डेढ़ सौ वर्षों से गांव में होली नहीं खेली जा रही है. ग्रामीणों ने कहा कि अगर वह किसी कार्य से बाहर या अन्य गांव जाते हैं तो उनके ऊपर पिचकारी मारी जाती है और गुलाल भी लगाया जाता है, लेकिन गांव में होली पर्व के दिन सन्नाटा छाया रहता है.

                More articles

                - Advertisement -

                      Latest article