NH द्वारा बोर्ड स्थापित किया गया, सड़क निर्माण पूर्ण होने से आवागमन होगा आसान
जुराली में सड़क निर्माण पूर्ण होने से भारी वाहनों को कटघोरा में नहीं होगा प्रवेश
कोरबा। पथरापाली – कटघोरा, राष्ट्रीय राजमार्ग क. 130 (कि.मी. 53.300 से कि.मी. 92.600) चार-लेनीकरण अंतर्गत कुल 27 ग्राम के प्रभावित भूमि का अधिग्रहण किया जाकर कुल 26 ग्रामों की अधिग्रहित भूमि पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा सड़क निर्माण पूर्ण कर लिया गया है किन्तु ग्राम–जुराली प्रकरण क. 40 / अ-82 / 2018-19 अवार्ड दिनांक 18.03.2021 अंतर्गत प्रभावित भूमि (निजी भूमि रकबा – 85994 वर्ग मी. एवं शासकीय भूमि रकबा – 19350 वर्ग मी.) लगभग 02 किलोमीटर में ग्रामीणों द्वारा विरोध किये जाने के कारण सड़क निर्माण नहीं किया जा सका है।
पारित अवार्ड अनुसार राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956 की धारा 3E में निहित प्रावधान के तहत् कार्यालयीन नोटिस – 01 दिनांक 08/08/2024, नोटिस – 02 दिनांक 23/08/2024 एवं नोटिस – 03 दिनांक 23/09/2024 के माध्यम से उक्त अर्जित भूमि का मुआवजा प्राप्त करने हेतु संबंधित खातेदारों को सूचित किया गया था कि मुआवजा राशि प्राप्त करने हेतु आवश्यक दस्तावेज जमा करें किन्तु ग्रामीणों के द्वारा रूचि नहीं लिये जाने के कारण अपेक्षक निकाय (भा.रा.रा.प्रा. प.का.ई. कोरबा) को धारा 3D की उपधारा (2) के अधीन केन्द्रीय सरकार में निहित भूमि का कब्जा सौंपने की कार्यवाही की गई। इसी तारतम्य में आज दिनांक 17.11.2024 को ग्राम जुराली की अधिकृत भूमि का राजस्व विभाग द्वारा पुलिस प्रशासन की सहयोग से भा.रा. रा.प्रा., प.का.ई. कोरबा छ०ग० को मौका निरीक्षण कर ROW का सीमांकन करते हुए चूना मार्किग सीमा चिन्ह पर लगाया गया साथ ही प्रत्येक लगभग 500 मीटर की अन्तराल में NH. द्वारा बोर्ड स्थापित करते हुए भा.रा. रा.प्रा., प.का.ई. कोरबा छ0ग0 कोरबा को कब्जा सौंपा गया। स्थापित बोर्ड में “यह भूमि पथरापाली कटघोरा (राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 130 ) के लिए अधिकृत की गई है। भा. रा. रा. प्रा. प.का.ई. कोरबा छ०ग०” अंकित किया गया है।
पथरापाली-कटघोरा, राष्ट्रीय राजमार्ग क. 130 (कि.मी. 53.300 से कि.मी. 92.600) चार-लेनीकरण का ग्राम जुराली में सड़क निर्माण के पूर्ण हो जाने से आवागमन सुव्यवस्थित हो जायेगा । बिलासपुर-अंबिकापुर हेतु भारी वाहनों को कटघोरा शहर में प्रवेश नहीं करना पड़ेगा जिससे कटघोरा शहर में यातायात का दबाव कम होने के साथ ही दुघर्टनाओं की संभावना भी कम हो जावेगी। इसके अतिरिक्त आमजनता के लिए न केवल 10 कि.मी. से अधिक की दूरी कम होगी बल्कि आवागमन में लगने वाले अतिरिक्त समय की बचत भी होगी।