Wednesday, July 9, 2025

        मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में बच्चे को मिली नई जिंदगी, मरीजों का हो रहा सफल उपचार

        Must read

          कोरबा। जिले के मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में नीरज पिता अजय कुमार उम्र 6 वर्ष निवासी ग्राम जलके जिला कोरबा को अति गंभीर हालत में एक प्राइवेट हॉस्पिटल से 19 जून की शाम को जिला अस्पताल कोरबा में इमरजेंसी विभाग में लाया गया। बच्चा उस वक्त कोमा में था,धड़कन व नब्ज़ कमज़ोर थी, साँस की तकलीफ थी। बच्चे के फेफड़े में इंडोट्रैकियल ट्यूब लगी हुई थी, उसे अंबू बैग के द्वारा साँस देते हुए लाया गया था तथा धड़कन को बनाए रखने वाली आयनोट्रॉप जैसी दवाइयां पहले से चल रही थी। किडनी भी कमजोर हो चुकी थी,पेशाब में थोड़ा खून भी आने लगा था। जिला अस्पताल पहुंचते ही मरीज को पीडियाट्रिक विभाग के डॉक्टर्स की टीम द्वारा इमरजेंसी वार्ड में ही तुरंत इलाज शुरू किया गया और वेंटिलेटर के सहारे रखा गया।


          बच्चे के पिता ने बताया कि तीन-चार दिन के तेज बुखार और उल्टी की समस्या के बाद अचानक से बच्चा सुस्त पड़ गया था और बिस्तर से उठ ही नहीं पा रहा था । प्राइवेट हॉस्पिटल में दो दिन भर्ती रहा फिर पैसे के अभाव में मजबूरी में इलाज हेतु शासकीय मेडिकल कॉलेज संबद्ध जिला अस्पताल लाया गया। बच्चे के बीमारी के लक्षण जटिल वायरल इंसेफलाइटिस की तरह थे।
          यहाँ बच्चा 3 दिन तक वेंटिलेटर पर रहा फिर थोड़ी स्थिति में सुधार हुआ तो वेंटिलेटर से बाहर निकालने का प्रयास किया गया जो सफल रहा। वेंटिलेटर में रहने के दौरान बीच-बीच में बच्चे को खून की उल्टियां भी हो रही थी व दिल की धड़कन भी बहुत कमजोर हो गई थी। दिमाग में सूजन व आंतरिक दबाव बढ़ने के कारण बच्चा का शरीर सुन्न था और उसे झटके भी आ रहे थे। जाँच में पता चला कि रक्त में सोडियम की मात्रा भी बहुत बढ़ गई थी। इलाज के दौरान जाँच में बच्चे को सिकल सेल एनीमिया , हेपेटाइटिस और किडनी फेल्यर की बीमारी भी पता चली। उसका भी साथ-साथ इलाज किया गया। धीरे-धीरे जिला अस्पताल में इलाज के चलते बच्चे की स्थिति में सुधार हुआ।फिर वेंटिलेटर से निकलने के बाद अगले 6 दिन बच्चा नेज़ल ऑक्सीजन के सहारे साँस लेता रहा।धीरे-धीरे स्थिति में आगे सुधार होने पर फीडिंग ट्यूब के द्वारा पानी पिलाना और तरल भोजन शुरू किया गया। ऑक्सीजन से निकलने के बाद भी बच्चे के शरीर में कमजोरी बनी हुई थी और बच्चा बोल नहीं पा रहा था । फिजियोथेरेपी से भी लाभ मिला।
          अब बच्चा कुल 20 दिन के इलाज के बाद खुद से बैठना और बात करने लगा है। भर्ती के वक्त रोते-बिलखते हुए जिन माँ-बाप के चेहरे को देखा गया था आज उनके चेहरे पर फिर से खुशनुमा मुस्कान लौट आई है।

          मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर ने बताया की ये मुस्कान ही हम डॉक्टर्स के लिए अपनी सेवा व साधना में सतत् तत्पर रहने के लिए प्रेरणा स्रोत है।
          इस उपलब्धि का सारा श्रेय जाता है शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय संबद्ध जिला अस्पताल कोरबा के शिशु रोग विभाग के अनुभवी और मेहनती डॉक्टर्स की टीम को विभागाध्यक्ष डॉ.राकेश वर्मा के नेतृत्व में वरिष्ठ शिशु रोग चिकित्सकों की टीम डॉ.धर्मवीर सिंह, डॉ.आशीष सोनी, डॉ.अनन्या, डॉ.स्मिता, डॉ.हेमा सभी बधाई के पात्र हैं।

              More articles

              - Advertisement -

                    Latest article