Friday, October 18, 2024

      डरा धमका कर दहेज का पैसा लेकर शादी करने से इंकार कर धोखाधड़ी करने वाले दहेज के लोभी पिता-पुत्र को कोतवाली पुलिस ने झारखंड से किया गिरफ्तार

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      प्रकरण में दो आरोपी गिरफ्तार शेष 4 आरोपियों की पता तलाश जारी है शीघ्र किया जायेगा गिरफ्तार

      डरा धमका कर शादी के नाम पर धोखाधड़ी करके कुल 21 लाख रूपये की गई ठगी

      कोरबा ।प्रार्थी अमित सिंह पिता स्व. बिरेन्दर सिंह उम्र 24 वर्ष साकिन डी. डी. एम. रोड तुलसी नगर का दिनांक 19.04.2023 को थाना कोतवाली उपस्थित आकर लिखित रिपोर्ट दर्ज कराया कि प्रार्थी की बहन नेहा सिंह की शादी का रिश्ता रेल्वे कालोनी गोमो तहसील व जिला धनबाद निवासी विकास सिंह पिता अशोक सिंह के साथ तय किये थे। जिसकी विवाह के विषय में विकास सिंह, अशोक सिंह, राकेश सिंह, सुभाष सिंह, सावित्री प्रसाद, एवं अयोध्या सिंह के द्वारा दहेज के रूप में बारह लाख रूपये प्रार्थी के पिता बिरेन्दर सिंह से मांग किये और धीरे-धीरे कुल विभिन्न किश्त में शादी करने से इंकार कर देंगे कहते हुये डरा धमका कर कुल 21 लाख रूपये लिये उसके बाद भी और पैसा की मांग करने लगे तथा शादी करने से इंकार कर धोखाधड़ी किये तथा दिये गये रूपयों को भी लौटाने से मना कर दिये कि रिपोर्ट पर थाना कोतवाली कोरबा में धारा-420, 384, 34 भा.द.वि. व 05 दहेज प्रतिषेध अधिनियम कायम कर विवेचना कार्यवाही में लिया गया।

      मामले की गंभीरता को देखते हुये घटना के बारे में पुलिस अधीक्षक को अवगत कराया गया, पुलिस अधीक्षक यू उदय किरण ने सभी आरोपियों को जल्द गिरफ्तार कर कड़ी कार्यवाही के निर्देश दिये। घटना के बाद अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक वर्मा एवं नगर पुलिस अधीक्षक कोरबा विश्वदीपक त्रिपाठी के मार्गदर्शन पर नगर निरीक्षक रूपक शर्मा के नेतृत्व में आरोपियों का पकड़ने के लिये कोतवाली पुलिस की टीम बनाकर झारखंड भेजा गया। जहां दो आरोपी अशोक कुमार सिंह एवं राकेश सिंह को कड़ी मशक्कत कर घेराबंदी कर पकड़े तथा माननीय न्यायालय से ट्रांजिट रिमांड प्राप्त कर कोरबा ले कर आय शेष आरोपी फरार है। मामले में दोनों आरोपियों के विरूद्ध पर्याप्त अपराध सबूत पाये जाने तथा अपना अपराध स्वीकार करने पर विधिवत गिरफ्तार कर मामनीय न्यायालय पेश किया जा रहा है।

      उक्त कार्यवाही में नगर निरीक्षक रूपक शर्मा के नेतृत्व में स.उ.नि. ईश्वरी प्रसाद लहरे, स.उ.नि. लक्ष्मीप्रसाद कुर्रे, आरक्षक सुनील राजपूत व म. आर. राजेश्वरी लकड़ा की सक्रिय भूमिका रही।

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