छत्तीसगढ़ी राजभाषा परिषद का आयोजन

कोरबा। छत्तीसगढ़ राज्य की राजभाषा और जनभाषा छत्तीसगढ़ी को संविधान की 8 वीं अनुसूची में शामिल करने हेतु छत्तीसगढ़ी राजभाषा परिषद बिलासपुर द्वारा सर्वमंगला मंदिर कोरबा में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह आयोजन डॉ. विनय कुमार पाठक पूर्व अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के मुख्य आतिथ्य, डॉ. राघवेन्द्र कुमार दुबे प्रदेश अध्यक्ष तुलसी साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ की अध्यक्षता तथा वरिष्ठ साहित्यकार पं. राजेन्द्र कुमार पाण्डेय, अंजनी कुमार तिवारी, डॉ. ए.के. यदु, दिलीप अग्रवाल एवं मुकेश चतुर्वेदी के विशेष आतिथ्य में संपन्न हुआ।
स्वागत भाषण में परिषद के संयोजक डॉ. विवेक तिवारी ने कहा कि प्रदेश में छत्तीसगढ़ी भाषा का व्यवहार करने वालों की संख्या लगभग 2 करोड़ से अधिक है। लेकिन अभी तक छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में मान्यता नहीं मिल पाई है। छत्तीसगढ़ी का सुव्यवस्थित व्याकरण हीरालाल काव्योपाध्याय द्वारा सन् 1890 में प्रकाशित किया गया इसके बहुत वर्षाें बाद हिन्दी का व्याकरण पं. कामता प्रसाद गुरु द्वारा सन् 1910 में प्रकाशित हुआ जो कि छत्तीसगढ़ी के भाषाई सामर्थ्य की महत्ता का दर्शाता है।

मुख्य अतिथी डॉ. विनय कुमार पाठक ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 344(1) और 351 के अनुसार, आठवीं अनुसूची में 22 भाषाओं को मान्यता दी गई है, ये भाषाएं संविधान की आठवीं अनुसूची में संरक्षित हैं। पृथक छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के पश्चात् 28 नवंबर 2007 को छत्तीसगढ़ी को हिंदी के बाद राजभाषा के रुप विधानसभा द्वारा स्वीकृत की गई, इसके पश्चात् अगस्त 2008 को ‘छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग’ का गठन हुआ तथा 3 सितबंर 2010 को छत्तीसगढ़ी राजभाषा को राजकाज की भाषा बनाने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग का गठन करने की अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित की गई। छत्तीसगढ़ी अपनी लगभग 34 उपबोलियों के साथ राज्य के बहुसंख्य लोगों द्वारा व्यवहार में लाई जाने वाली भाषा है। इसे 8 वीं अनुसूची में शामिल करने हेतु परिषद् का यह प्रयास निःसंदेह सराहनीय है, हम सभी को एक संकल्प लेकर इस अभियान से जुड़ना आवश्यक है।
अध्यक्षता की आसंदी से डॉ राघवेन्द्र कुमार दुबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ी लोकव्यवहार और सामान्य कार्यालयीन कार्यों में प्रयुक्त की जा रही है। छत्तीसगढ़ी के विद्वानों और साहित्यकारों द्वारा लगातार छत्तीसगढ़ी साहित्य के भंडार में नित नवीन सृजन किया जा रहा है। इनमें साहित्य की सभी विधाओं से संबंधित साहित्य रचे गए हैं और रचे जा रहे हैं।
विशेष अतिथी वरिष्ठ साहित्यकार पं. राजेन्द्र कुमार पाण्डेय, अंजनी कुमार तिवारी, डॉ. ए.के. यदु, दिलीप अग्रवाल एवं मुकेश चतुर्वेदी ने अपने वक्तव्य में छत्तीसगढ़ी को 8 वीं अनुसूची में जोड़े जाने की अनुशंसा की तथा परिषद के इस अभियान की सराहना करते हुए इस कार्य हेतु अपना सक्रिय योगदान देने की घोषणा की।

आयोजन का संचालन परिषद के बालगोविंद अग्रवाल तथा आभार प्रदर्शन शीतल प्रसाद पाटनवार ने किया।
इस अवसर पर कोरबा से मुकेश चतुर्वेदी, जगदीश श्रीवास, गीता विश्वकर्मा, रामकली कारे, गार्गी चटर्जी, गिरजा शर्मा, ज्योति गवेल, संतोष मिरि, जीतेंद्र वर्मा खैरझिटिया, रामकृष्ण साहू, विनोद कुमार सिंह तथा बिलासपुर संभाग के साहित्यकार एवं प्रबु़द्ध नागरिक गण उपस्थित थे।