कबीरधाम।‘अँजोर’ के दूसरे दिन रंगों, संगीत और भावनाओं की अनोखी छटा बिखरी रही,यह सिर्फ एक सांस्कृतिक प्रस्तुति नहीं, बल्कि कबीरधाम के पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा का एक सच्चा संकल्प बन गया। वातावरण में संगीत की लय और उद्देश्य की भावना गूंजती रही, जब समुदायों ने मिलकर प्रकृति और परंपरा से अपने जुड़ाव को फिर से सशक्त किया।

नृत्य, गीत और कहानी कहने के माध्यम से प्रतिभागियों ने सांस्कृतिक विरासत और पर्यावरण संरक्षण के बीच गहरे संबंध को अभिव्यक्त किया। आयोजन का मूल संदेश स्पष्ट था — जीवन तभी फलता-फूलता है जब परंपरा और पारिस्थितिकी संतुलन में साथ चलते हैं।
कार्यक्रम के दौरान सामर्थ चैरिटेबल ट्रस्ट की संस्थापक सुश्री ग़ज़ाला पॉल ने कहा,
“पिछले छह वर्षों से सामर्थ समुदाय के साथ मिलकर कबीरधाम के पारिस्थितिक तंत्र को जीवंत बनाए रखने का कार्य कर रहा है। ये छोटे लेकिन सार्थक प्रयास ही हमारे कार्य का मूल हैं।
वहीं राज्य लीड कृष्ण श्रीनिवासन और मुख्य परिचालन अधिकारी इक़बाल बैग ने कहा कि स्थानीय पहलों को सरकारी कार्यक्रमों के साथ जोड़ना आवश्यक है, ताकि इनके प्रभाव को और व्यापक एवं स्थायी बनाया जा सके।

सांझ ढलने तक ‘अँजोर’ केवल एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं रहा, बल्कि एक जीवंत वादा बन गया — संरक्षण, पुनर्स्थापन और पुनर्जीवन का, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ एक सशक्त और समृद्ध कबीरधाम को देख सकें
इस आयोजन में समर्थ ट्रस्ट की प्रबंध न्यासी सुश्री ग़ज़ाला पॉल और राज्य प्रमुख कृष्ण श्रीनिवासन, इक़बाल बैग,COO,पारसनाथ यादव, दीपक बिस्वास,पीलेश्वर सिंह राजपूत और अन्य टीम मेंबर्स की गरिमामयी उपस्थिति रही।






