Tuesday, June 17, 2025

            DM और CMHO ने जिले वासियों से लू से बचने की अपील

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              अधिक गर्मी पड़ने पर लू (तापाघात) से बचाव हेतु सावधानियां

              कोरबा। ग्रीष्म कालीन मौसम प्रारंभ होने पर तथा अधिक गर्मी पड़ने से शुष्क वातावरण में लू (तापाघात) की संभावना अधिक होती है। जो घातक या जानलेवा हो सकती है। इस दृष्टिगत रखते हुए कलेक्टर अजीत बसंत और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एस. एन. केशरी ने जिले वासियों को लू से बचने अपील की है।

              मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एस. एन. केशरी ने बताया कि जिले में लगातार मौसम परिवर्तन के बाद अब धूप एवं गर्मी प्रारंभ हो गया है। जिसके कारण लू लगने की संभावना बढ़ गई है। सूर्य की तेज गर्मी के दुष्प्रभाव से शरीर के तापमान में विपरीत प्रभाव पड़ता है जिससे शरीर में पानी और खनिज लवण, नमक की कमी हो जाती है इसे लू लगना या हीट-स्ट्रोक कहा जाता है। वर्तमान में लोग घर से बाहर जाकर ऑफिस वर्क, खेती तथा बाजार में खरीदारी आदि कार्य कर रहे है वे पर्याप्त मात्रा में पानी एवं पेय पदार्थों का सेवन नहीं करते हैं जिसके कारण वे निर्जलीकरण के शिकार हो जाते है। जिससे समय पर उपचार ना मिलने के कारण मरीज की हालत गंभीर हो जाती है।

              क्या करें क्या न करें

              उन्होने बताया कि आमलोगों के द्वारा कुछ तरीके अपनाकर लू (तापाघात) से बचाव किया जा सकता है, जैसे गर्मी के दिनों में हमेशा घर से बाहर जाते समय सफेद, सूती या हल्के कपडे पहने, भोजन करके तथा पानी पीकर ही बाहर निकले, गर्दन के पिछले भाग कान एवं सर गमछे से ढककर ही निकलें, छतरी एवं रंगीन चश्मे का प्रयोग करें, गर्मी में अधिक मात्रा में पानी पिये तथा ज्यादातर तरल पेय पदाथों का सेवन करें, बाहर जाते समय पानी जरूर साथ रखें, बेवजह बाहर ना जावें, बच्चों बुजुर्गों व गर्भवती महिलाओं का विशेष ध्यान रखें, उन्हें समय-समय पर पानी पीने के लिए प्रेरित करें एवं सुपात्त्य भोजन एवं तरल पदाथों का सेवन करावें। गर्मी के दिनों में तीव्र धूप को घर अंदर आने से रोकें तथा जहाँ तक संभव हो अधिक से अधिक समय तक धूप में रहकर व्यायाम तथा मेहनत का काम ना करें, धूप में नंगे पाँव ना चलें इन सावधानियों को अपनाकर स्वयं को लू (तापाघात) से बचा जा सकता है।

              लू (तापाघात) के लक्षण

              लू का शिकार होने पर व्यक्ति में सरदर्द, बुखार, उल्टी एवं अत्यधिक पसीना आना, बेहोशी आना, चक्कर आना, सांस फूलना, दिल की धड़कन तेज होना, कमजोरी महसूस होना, शरीर में ऐंठन तथा त्वचा लाल एवं सूखी होना हो सकता है।

              लू (तापाघात) से बचाव

              लू (तापाधात) होने पर रोगी को छायादार स्थान पर कपड़े ढीले कर लिटायें एवं हवा करें। रोगी को बेहोशी होने की स्थिती में कोई भी भोज्य/ पेय पदार्थ न दें एवं तत्काल चिकित्सा सेवायें प्राप्त करें। रोगी को होश में आने की स्थिती में उसे ठंडे पेय पदार्थ, जीवन रक्षक घोल, कच्चा आम का पना आदि देवें। रोगी के शरीर के तापमान को कम करने के लिए उसके शरीर पर ठंडे पानी की पट्टियाँ रखें। लू से प्रभावित व्यक्ति को नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र ले जावें।

              मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एस. एन. केशरी ने बताया कि जिले के मेडिकल कॉलेज, सामु स्वा. केन्द्रों, प्राथ.स्वा. केन्द्रों तथा शहरी स्वा- केन्द्रों में लू (तापाघात) से बचाव हेतु पर्याप्त मात्रा में आवश्यक जीवन रक्षक दवाईयाँ एवं ओ. आर. एस. की उपलब्ध है।

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