Sunday, October 19, 2025

            सही समय, सही जानकारी एवं सही इलाज से बची बच्ची की जान

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              ऑटो इम्यून डिसआर्डर के कारण गंभीर हालत में पहुंच चुकी थी डिम्पल

              एनकेएच में बाल रोग विशेषज्ञ की देख-रेख में स्वास्थ्य लाभ

              कोरबा। सांस लेने में तकलीफ की समस्या से विगत 6 माह से जूझ रही डिम्पल राठिया को सही समय पर बीमारी की सही जानकारी हो जाने और सही ईलाज से नया जीवन दिया जा सका। एनकेएच में बाल रोग व नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. नागेन्द्र बागरी ने बालिका का उपचार किया ।
              डॉ. बागरी ने बताया कि रायगढ़ जिले के निवासी सुरेन्द्र कुमार राठिया की 14 वर्षीय पुत्री डिम्पल को सांस लेने में तकलीफ होने के कारण एनकेएच कोरबा में लाया गया था। परिजनों ने बताया कि विगत 6 माह से डिंपल तकलीफ में थी। उसका प्राथमिक उपचार रायगढ़ के किसी अस्पताल में कराया परंतु कोई सुधार ना होने से एनकेएच में लाया गया, तब वह बहुत गंभीर अवस्था में थी, बिना समय गंवाए उसे आईसीयू में भर्ती किया गया। मरीज को सांस फूलना, रेस्पिरेटरी फेल्योर (जिसमें ऑक्सीजन लेवल 90 से नीचे चला जाता है), जोड़ों में दर्द, अत्यधिक बुखार से ग्रसित थी। एक्स-रे में पता चला कि मरीज को पेरिकार्डियल इफ्यूशन भी है। मरीज के चेहरे पर चकत्ते भी थे जिसका कारण ऑटो इम्यून डिसऑर्डर था।
              डॉ. बागरी ने आगे बताया कि हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम शरीर में प्रवेश करने वाले किसी भी बाहरी तत्व के खिलाफ लड़ते है, लेकिन कई बार यह गलती से शरीर की अपनी कोशिकाओं पर भी हमला कर देते हैं जिसे ऑटो इम्यून डिसऑर्डर कहते हैं। यह डिसआर्डर रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस का कारण बना जिसकी वजह से मरीज को हाई फ्लो ऑक्सीजन सपोर्ट में रखा गया।
              इन सबका कारण पता करने के लिए एक और जांच एसएलई (सिस्टम ल्युपस एरीथिमेटस) सस्पेक्ट किया गया। यह एलर्जी या संक्रमण से होने वाली त्वचा की एक प्रतिक्रिया है जिसमें त्वचा पर चकते उभरते हैं।जांच के बाद टेस्ट पॉजिटिव आया तब ज्ञात हुआ कि डिम्पल इतनी सारी बीमारियों से ग्रसित थी। सिस्टम ल्युपस एरीथिमेटस यह एक दीर्घ कालीन ऑटो इम्यून बीमारी है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को सक्रिय कर देता है। इस बीमारी में हालत बिगड़ जाने पर शरीर के स्वस्थ अंगों को नुकसान पहुंचाता है। इसमें हृदय, फेफड़े, गुर्दे, हड्डियों के जोड़, त्वचा, दिमाग पर भी प्रभाव पड़ता है और जीवन को खतरा हो सकता है।
              डॉ. बागरी ने बताया कि चिकित्सा टीम की अथक मेहनत और विभिन्न जांच के आधार पर बीमारियों का इलाज करने से मरीज की हालत में सुधार दिखने लगा। जब मरीज के स्वास्थ्य में स्थिरता आई तो उसे वार्ड में शिफ्ट किया गया। उन्होंने बताया कि सही समय पर सही जानकारी व सही इलाज होने के कारण ही मरीज डिम्पल को बचाया जा सका। मरीज जिस गंभीर अवस्था में आई थी, यदि सही जानकारी न मिलने पर समय से इलाज न हो पाता तो उसकी जान बचाना मुश्किल होता। मरीज अब पूर्ण रूप से स्वस्थ है। डिम्पल को नई जिंदगी मिलने से परिजनों ने एनकेएच के चिकित्सा स्टाफ को धन्यवाद दिया।

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