मुख्य वन संरक्षक ने जिले के अधिकारी-कर्मचारियों को आधुनिक मशीनों से काष्ठ विदोहन की विधि का दिया प्रशिक्षण
गरियाबंद ।जंगलो से होने वाले शासकीय कूप कटाई से कैसे पर्यावरण को बेहतर बनाकर रखते हुए अच्छे ईमारती काष्ठ प्राप्त किये जा सकें। इस उद्देश्य से प्रदेश के पांच जिलों के वन अधिकारियों की कार्यशाला रायपुर वृत्त के मुख्य वन संरक्षक राजू अगासीमनी के आतिथ्य में संपन्न हुई। जिसमें 200 से अधिक वन अधिकारी-कर्मचारियों के साथ लकड़ी खरीदने वाले क्रेताओं को भी आमंत्रित किया गया था। गरियाबंद नीलाम हाल के बाद 200 अधिकारी-कर्मचारियों को भी जंगल ले जाकर आधुनिक मशीनों से काष्ठ विदोहन की सही विधी का प्रशिक्षण दिया गया।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से वन संरक्षक सह प्रभारी वनमण्डलाधिकारी मणीवासगन एस., महासमुन्द से पंकज राजपूत, धमतरी से शमा फारूकी, बिरगुड़ी से एस. एस. नाविक उप वनमण्डलाधिकारी गरियाबंद मनोज चन्द्राकर,राजिम से उदय सिंह ठाकुर, देवभोग से राजेन्द्र कुमार सोरी, बलौदाबाजार से गोविन्द सिंह, उपस्थित रहे।
कार्यशाला में रायपुर वृत्त के मुख्य वन संरक्षक अगासीमनी ने वन अधिकारियों तथा कर्मचारियों को कूप विदोहन लागिंग प्लान एवं अभिलेख संधारण कार्य के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि किस प्रकार काष्ठ का कम से कम नुकसान हो और उपयोगी इमारती काष्ठ प्राप्त हो सके। उन्होने विदोहन पूर्व कूप, रोपण क्षेत्र का सीमांकन, चिन्हांकन, मार्किंग कार्य, विदोहन योजना तैयार करना, परिवहन समूह का गठन, कटाई व लगुण कार्य, विदोहन से प्राप्त काष्ठ की रिकार्डिंग, थप्पीकरण परिवहन, कूप से डिपो भेजने की विधि काष्ठ का समाधान पत्रक से मिलान, विभिन्न पंजियों (पातन, लगुण थप्पी, निकासी पंजी) से मिलान करने के तरीके और इन सभी नियमों के बारे में उपस्थित अधिकारी, कर्मचारियों को विस्तार से जानकारी दी । उन्होंने काष्ठ खरीदारों का बुलवाकर बाजार मांग के अनुसार उस आकार में काष्ठ को काटने की जानकारी दी। जिससे मूल्य अधिक से अधिक प्राप्त हो सकें।
वन संरक्षक सह प्रभारी वनमण्डलाधिकारी गरियाबंद मणीवासगन एस ने वृक्षों के कटाई व लागिंग के संबंध में बताया कि कूप कटाई के साथ यह ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। परिवहन समय पर हो तभी लकड़ी का अधिक मूल्य मिल पाता है। चिन्हांकित वृक्षों का विदोहन कूप के एक सिरे से प्रारंभ की जाए, कूप के विभिन्न खण्डों में से किन्ही एक खण्ड में कटाई कार्य प्रारंभ कर केवल मार्किंग किये वृक्षों का ही पातन किया जाये। वृक्षों की कटाई करने के पूर्व उसके चारों ओर के पौधे ठूंठ पत्थर आदि को आवश्यकतानुसार साफ किया जायें। समस्त मार्क शुदा वृक्षों का पातन कुल्हाड़ी से ही किया जायेगा। कुल्हाड़ी से इस प्रकार कटाई किया जावे जिससे ठूंठ की ऊंचाई कम से कम हो तथा जड़ के पास नीचे वाला लगा मार्किंग हैमर भी दिखाई पड़े सुरक्षित रहें ।
गरियाबंद के उप वनमण्डलाधिकारी मनोज चंद्राकर ने सभी वन कर्मचारियों से अपील की कि राज्य सरकार के राजस्व मे वृद्धि को देखते हुये इस कार्य को गंभीरता से करें। लापरवाही न बरते कटा हुआ काष्ठ जंगल में अधिक समय न छोड़े तथा अपने नीचे काम करने वाले सभी कर्मचारियों को कूप विदोहन के सही तरीके की जानकारी दे ताकि वन काष्ठागारों तक पहुंचने वाला काष्ठ सटीक हो उसे देखकर व्यापारी अधिक दाम देने को तैयार हो।
प्रशिक्षक संयुक्त वनमण्डलाधिकारी उदय सिंह ठाकुर ने बताया कि वृक्ष कटाई पूर्व वृक्ष का झकाव किस ओर है अवश्य देखें व उस दिशा मैं यदि खुली जगह मिल रही है, या स्टेन्डर्ड वृक्षों को क्षति पहुंचने की संभावना न हो तो पहला निचला कट (फेलिंग शिंक) उसी ओर दें ताकि तने के व्यास का लगभग एक तिहाई गहरा हो । लगुण निर्माण का काय आरा, बोसा से ही कराया जावेगा । सागौन, तिन्सा, बीजा, शीशम, हल्दू, मुंडी, खम्हार, कसई, सलई मोयन के यथा संभव सीधे लट्ठे बनाय जाए उक्त ईमारती प्रजातियों के लट्टे की न्यूनतम लम्बाई 60 से.मी. व न्यूनतम गोलाई 41 से.मी. रखी जावे (न्यूनतम मध्य गोलाई सागौन 41 से.मी. शेष प्रजातियां 51 से.मी.) कसई, सलई मोयन के लिय न्यूनतम गोलाई 51 से.मी. रहेगी। कूप में सलिहा वृक्षों का पातन, लगुण, निर्माण कार्य माह दिसम्बर तक पूर्ण कर लिया जाये। सलिहा वृक्षों से प्राप्त लट्टे एवं चट्टों का कूप से निर्वतन माह जनवरी अंत तक पूर्ण कर लिया जाना चाहिए क्योंकि इस अवधि तक इनकी अधिकतम कीमत प्राप्त होती है। इस अवसर पर परिक्षेत्र अधिकारी गरियाबंद राजेन्द्र कुमार साहू, पाण्डुका तरूण तिवारी, मैनपुर से संजीत मरकाम, छुरा से धीरेन्द्र साहू, परसुली से दुर्गाप्रसाद दीक्षित, देवपुर बलौदाबाजार से पुष्पेन्द्र कुमार साहू पिथौरा से प्रत्युष कुमार ताण्डे एवं अन्य वन कर्मचारी एवं अधिकारी उपस्थित थे।