विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों का भी हुआ आयोजन
कोरबा 27 मार्च 2023 :-कलेक्टर संजीव कुमार झा के मार्गदर्शन एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉं एस.एन.केसरी के नेतृत्व में प्रतिवर्ष की भॉंति इस वर्ष जिले में 24 मार्च 2023 को विश्व क्षय दिवस आयोजित किया गया। इस दिन जिले में इस वैश्विक बिमारी के प्रति लागों को जागरूक करने के उद्देश्य से कई जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए।
प्रतिवर्ष जिले में विश्व क्षय रोग दिवस पर लोगों को बिमारी के प्रति जागरूक करने के लिए तमाम तरह के जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। इसी क्रम में इस वर्ष भी लोगों को टी.बी.रोग के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से मेडिकल कॉलेज, सामु.स्वास्थ्य केन्द्रों तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, एच.डब्लू.सी. उपस्वास्थ्य केन्द्रोें तथा समुदाय स्तर पर मितानिनों के द्वारा टी.बी.के संबंध में जानकारी दी गई तथा टी.बी.के लक्षण वाले मरीजों का स्पूटम जॉच करवाने के लिए कहा गया।
मेडिकल कॉलेज कोरबा में नर्सिग छात्र-छात्राओं, अधिकारियों/कर्मचारियों तथा नागरिकों को सेमिनार आयोजित किया गया । वहॉं टी.बी.के संबंध में डॉ.जी.एस.जात्रा, जिला टी.बी. अधिकारी के द्वारा जानकारी दी गई। टी.बी.मुक्त भारत अभियान के तहत ए.बी.एच.डब्लू.सी.में 21 दिवसीय वर्चुअल संवेदिकरण किया जा रहा है जिसमें मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.एस.एन.केसरी, डॉ.जी.एस.जात्रा, जिला टी.बी.अधिकारी, प्रवेश खॅॅूटे, डी.पी.एच. तथा अमित कुमार टीम लीडर पी.एम.टी.पी.टी के द्वारा ट्रेनिंग दी जा रही है। मेडिकल कॉलेज कोरबा में नर्सिंग स्टूडेंट, अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा टी.बी.मुक्त भारत बनाने का शपथ लिया गया।
नर्सिग छात्राओं द्वारा रंगोली बनाकर जागरूक किया गया तथा रैली का आयोजन किया गया। टी.बी. के संबंध में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से ओपन थिएटर घंटाघर कोरबा में नवाबिहान, सुन मितान तथा नर्सिंग कालेजों के छात्र/छात्राओं द्वारा नुक्कड नाटक का आयोजन किया गया। तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के द्वारा पुरस्कार वितरण किया गया।
सीएमएचओ डॉ. केसरी ने बताया कि साधारण भाषा मेें हम टी.बी. को क्षय रोग अथवा तपेदिक के नाम से जानते हैं। टी.बी. एक संक्रामक बिमारी है जो माइकोबैक्टीरियम ट्यबरक्लोसिस जीवाणु की वजह से होती है, लेकिन यह बिमारी लाईलाज नहीं है। जिले में टी.बी.के सैकडो मरीज हर वर्ष सामने आते हैं। समय रहते इस बिमारी का इलाज करवा लिया जावे तो इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार टी.बी. अभी भी दुनिया की सबसे घातक संक्रामक किलर डिसीज में से एक है। डब्लू.एच.ओ. की तरफ से 2030 तक दुनिया से पूरी तरह टी.बी.से मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित है तथा भारत की ओर से 2025 तक देशवासियों की टी.बी. की बीमारी से पूरी तरह निजात दिलाने का लक्ष्य रखा गया है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, डॉ.एस.एन.केशरी ने बताया कि टी.बी.बैक्टीरिया से होने वाली है, सबसे कॉमन फेफडों का टी.बी.है और यह हवा के जरिये एक दूसरे इंसान में फैलती है। मरीज के खॅासने, छींकने के दौरान मुंह तथा नाक से निकलने वाली बारीक बॅूंदे इन्हें फैलाती हैं एैसे में मरीज के बहुत पास बैठकर बात की जावे तो भी इन्फेक्शन हो सकता हैं। फेफडों के अलावा ब्रेन, यूट्रस, मुंह, लीवर, किडनी , गले आदि में भी टी.बी.हो सकती है। सबसे अहम बात है कि टी.बी.की पहचान हो। इसके लक्षण जैसे तीन हफते से ज्यादा लगातार खॉसी हो, खॉंसी के साथ बलगम आना तथा बलगम के साथ खून आना, बुखार ,वजन कम होना, भूख ना लगना तथा रात में पसीना आना है। टी.बी.का इलाज संभव है, टी.बी.के मरीज को 6 से 9 माह तक दवाईयों का सेवन करने से टी.बी.पूरी तरह ठीक हो सकता है। उन्होंने जिले के लोगों से अपील किये है कि जिन्हे उपरोक्त टी.बी.के लक्षण हो वे तुरंत मितानिन, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, एच.डब्लू.सी., पी.एच.सी., सामु.स्वा.केन्द्र जिला चिकित्सालय (मेडिकल कॉलेज) से संपर्क कर जॉंच एवं इलाज प्राप्त कर सकते हैं।