मध्यप्रदेश। 6 अक्टूबर 2025, सोमवार का दिन, अशोकनगर के आध्यात्मिक इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया। यह वह क्षण था जब श्रमण संस्कृति संस्थान, सांगानेर की एक छोटी सी बालिका ने पूज्य श्रमण शिरोमणि, मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज के समक्ष बैठकर समयसार जैसा गूढ़ और दार्शनिक ग्रंथ मौखिक रूप में सुनाया और उस पर प्रवचन दिए। समयसार ग्रंथ पर यह प्रशिक्षण शिविर 17 अक्टूबर शुक्रवार तक चलेगा। शिविर में सांगानेर संस्थान के छात्र-छात्राएं शामिल हैं।
जिस ग्रंथ की एक-एक गाथा आत्मा को आत्मा से जोड़ने की साधना है, जिसे समझने में बड़े-बड़े पंडितों को वर्षों लग जाते हैं, वही समयसार आज बालिकाओं के मुख से सहजता और शुद्धता के साथ प्रवाहित हो रहा था। सभा में बैठे श्रोता आश्चर्यचकित थे, किसी के मुख से स्वतः “वाह!” निकल गया, तो कोई मौन होकर भाव-विभोर हो गया।
कभी समाज में यह धारणा थी कि ‘पंडित’ केवल पुरुष हो सकते हैं, महिलाएं या बालिकाएं इन गंभीर आगमों को न पढ़ सकती हैं, न समझ सकती हैं। किंतु आज वही धारणा बदल रही है। पूज्य गुरुदेव श्री सुधासागर जी महाराज के मार्गदर्शन और श्रमण संस्कृति संस्थान के अथक प्रयासों से भारत में अब सैकड़ों महिला पंडित तैयार हो चुकी हैं, जो न केवल अध्ययन कर रही हैं, बल्कि अपने ज्ञान से समाज का मार्ग भी प्रकाशित कर रही हैं।
आज जब उस बालिका ने समयसार की गाथाओं को एक-एक करके भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया, तो मानो ज्ञान और भक्ति का संगम बन गया हो। सुभाषगंज स्थित विशाल पांडाल में आज एक अलौकिक वातावरण था। ऐसा लग रहा था जैसे पांडाल स्वयं बोल रहा हो और हर आंख में गर्व और श्रद्धा का भाव छलक रहा हो।
अशोकनगर में इन दिनों चल रहे 10 दिवसीय समयसार प्रशिक्षण शिविर में सांगानेर संस्थान की स्नातक विदुषियां और विद्वान समयसार का गहन अध्ययन कर रहे हैं। यह शिविर केवल शिक्षा नहीं, बल्कि आत्मजागृति की साधना बन चुका है।
पूज्य गुरुदेव श्री सुधासागर जी महाराज के सान्निध्य में जब ऐसी बाल प्रतिभाएं खिलती हैं, तो यह निश्चय ही उस महान परंपरा की पुनः स्थापना का संकेत है–
जहां ज्ञान का दीपक अब बेटियां भी प्रज्वलित कर रही हैं।
रवि जैन, पत्रकार