Sunday, September 8, 2024

        Mohan Bhagwat Meeting Muslim Leaders, How BJP Will Benefit From RSS Chief Outreach?

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        नई दिल्ली: पिछले कुछ वक्त से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत मुस्लिम बुद्धिजीवियों से लगातार मुलाकात कर रहे हैं। वह इमामों से मिलने मस्जिद भी गए और मदरसे जाकर बच्चों से मुलाकात की। संघ इसे सामान्य संवाद बता रहा है। मगर, यह साफ है कि संघ मुस्लिमों से संवाद बढ़ा रहा है। केंद्र में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ही राजनीतिक इकाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयंसेवक रह चुके हैं। इसका जिक्र वह खुद कई बार कर चुके हैं। ऐसे में जब संघ मुस्लिम समुदाय से संवाद बढ़ा रहा है तो क्या यह बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित होगा? बीजेपी और संघ दोनों पर मुस्लिम विरोधी होने के आरोप लगते रहे हैं। दोनों इसका खंडन करते रहे हैं। बीजेपी का तो मानना है कि तीन तलाक पर बैन के बाद बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाओं ने बीजेपी को वोट दिया है।

        1. कार्यकारिणी में निर्देश
        हाल ही में हैदराबाद में हुई बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में केंद्रीय नेतृत्व ने पसमंदा मुस्लिमों के बीच ज्यादा काम करने को कहा। पसमंदा मुस्लिम, मुस्लिम वर्ग में पिछड़े लोग हैं। वे पहले भी बीजेपी के साथ रहे हैं। उन्हें विकास की धारा में शामिल करने की कोशिश की जा रही है।

        2. क्या साथ आएंगे मुस्लिम
        बीजेपी भले ही कहती रही है कि वह मुस्लिम समुदाय से कोई भेदभाव नहीं करती। मगर, बीजेपी के उम्मीदवारों पर नजर डालें तो टिकट की दौड़ में वे काफी पीछे होते हैं। हाल ही में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने एक भी मुस्लिम को उम्मीदवार नहीं बनाया। अगले कुछ महीनों में गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं और वहां पिछले चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवारों की लिस्ट में एक भी मुस्लिम नहीं था। बीजेपी के मुस्लिम नेता, खासकर अल्पसंख्यक मोर्चा के नेता यह कहकर बीजेपी का बचाव करते हैं कि जीतने की काबिलियत के हिसाब से टिकट दिया जाता है। यह सवाल तो है ही कि सिर्फ मुस्लिमों से संवाद बढ़ाने से बीजेपी को कैसे फायदा होगा। कोई भी वर्ग सत्ता में और फैसले लेने की ताकत में भागीदारी चाहता है, वह जगह न मिलने पर कितना साथ आएगा, इस पर प्रश्नचिह्न ही है।

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        3. माहौल ठीक करने की कोशिश
        पिछले कुछ वक्त में देश में कुछ घटनाएं ऐसी हुई हैं, जिनकी वजह से इस्लामिक देशों में भारत को लेकर सवाल उठने लगे। इसके बाद बीजेपी की तरफ से भी कुछ कदम उठाए गए। बीजेपी के कुछ सीनियर मंत्रियों की तरफ से भी हाल में भड़काऊ बयानों के खिलाफ बोला गया। हालांकि, बीजेपी में ही कई ऐसे विधायक या स्थानीय स्तर पर नेता हैं, जो अब भी कई बार मुस्लिम विरोधी बयान देते हैं। ऐसे में संघ का मुस्लिमों से संवाद बीजेपी को मुस्लिम वोटर्स के वोट दिलाएगा यह कहा नहीं जा सकता।

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        4. संघ की अपनी वजह
        संघ के सीनियर प्रचारकों ने अनौपचारिक बातचीत में यह साफ किया कि संघ की तरफ से मुस्लिमों से संवाद बीजेपी के लिए नहीं, बल्कि संघ के ही लॉन्ग टर्म लक्ष्य के लिए हैं। उन्होंने कहा कि संघ चाहता है कि समाज में सभी लोग शांति और सहयोग के साथ रहें। हिंदू-मुस्लिम विवाद न हो यह कोशिश संघ 15-16 सालों से कर रहा है। संघ चाहता है कि हिंदू समाज की यह मानसिकता तैयार हो कि भारत में रहने वाले सभी अपने ही भाई-बंधु हैं, चाहे वह किसी भी पूजा पद्धति को मानते हैं।

        5. संघ की नजर में सब हिंदू
        संघ कई मौकों पर कह चुका है कि भारत में रहने वाले सभी हिंदू हैं। संघ प्रचारक के मुताबिक, संघ मुस्लिमों से लगातार कहता रहा है कि उनके पूर्वज हिंदू थे। संघ प्रमुख ने हिंदू समुदाय की मानसिकता को तैयार करने के लिए ही बयान दिया कि मुस्लिम समुदाय और हमारा डीएनए एक है। साथ ही यह भी कि हर मस्जिद में शिवलिंग नहीं ढूंढना चाहिए।

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