Thursday, November 21, 2024

        ND Tiwari Life News: up uttarakhand cm nd tiwari ujjwala sharma love marriage story son rohit shekhar dna test – पूर्व CM ने 88 की उम्र में की शादी, प्रफेसर पर आया था दिल, बेटे ने पिता साबित करने के लिए DNA जांच करा डाला

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        लखनऊ/देहरादून: साल 2014 में मई महीने का दिन था। उमस और गर्मी से सराबोर उस दिन देशभर की मीडिया के कैमरे लखनऊ की तरफ घूम गए। एक हाई-प्रोफाइल शादी हो रही थी, जो सुर्खियों में आ गई। खास बात रही कि दूल्हा 88 साल का एक बुजुर्ग था, जिसे चलने-फिरने में भी दिक्कत हो रही थी। बात और भी हाईलाइटेड तब हो गई, जब दूल्हा कोई और नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का मुख्यमंत्री रह चुका शख्स था। नाम था- नारायण दत्त तिवारी शॉर्ट में एन. डी. तिवारी। दुल्हन थीं उज्ज्वला शर्मा। शादी से पहले ही एन डी तिवारी ने रोहित शेखर नाम के युवक को अपना जैविक पुत्र स्वीकार किया था।

        एनडी तिवारी का राजनीतिक जीवन जितना समृद्ध रहा, उनका व्यक्तिगत जीवन उतना ही चर्चित रहा। साल 1954 में उन्होंने सुशील तिवारी से शादी की थी। इस शादी से कोई संतान नहीं हुई। इस बीच तिवारी को 70 के दशक में जनता पार्टी की सरकार में मंत्री रहे प्रफेसर शेर सिंह राणा की बेटी उज्ज्वला से प्यार हो गया। प्यार परवान चढ़ा और उनके रिश्ते से रोहित शेखर पैदा हुए।

        एन डी तिवारी ने करीब 40 साल तक उज्ज्वला के साथ अपने रिश्ते को नकारा। लेकिन जब 2008 में उनके बेटे रोहित शेखर कोर्ट पहुंच गए, तो कोर्ट ने DNA टेस्ट के आधार पर एनडी तिवारी को रोहित शेखर का बायोलॉजिकल फादर घोषित किया। कोर्ट के फैसले के कुछ वक्त बाद एनडी ने 14 मई 2014 को उज्ज्वला से शादी की और रोहित को सार्वजनिक रूप से बेटा माना।
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        साल 1968 में तिवारी युवा कांग्रेस के अध्यक्ष थे। उज्जवला दिल्ली यूनिवर्सिटी में संस्कृत पढ़ाती थीं। उज्जवला के पिता प्रफेसर शेर सिंह अविभाजित पंजाब में प्रताप सिंह कैरों के सीएम रहते हुए मंत्री थे। बाद में वह शिक्षा और रक्षा उत्पादन में केंद्रीय मंत्री भी बने। पिता के दिल्ली स्थित आवास में ही उज्ज्वला पहली बार तिवारी से मिलीं।

        उज्जवला अपने पति बी एल शर्मा से अलग हो गईं। कुछ सालों के बाद एन डी तिवारी के साथ उनके संबंध बने, जिससे रोहित शेखर का जन्म हुआ। मामले का खुलासा 2008 में हुआ, जब रोहित कोर्ट की शरण में गए। उन्होंने खुद के तिवारी और उज्ज्वला का बेटा होने की बात कही। डीएनए जांच की गुहार करते हुए हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक मामला गया। मई 2011 में तिवारी ने डीएनए दिया, जिसकी रिपोर्ट में रोहित के जैविक पुत्र होने की बात साबित हो गई।
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        नैनीताल की पहाड़ियों में बलूती गांव में अक्टूबर 1925 को वन विभाग में अधिकारी पूर्णानंद तिवारी को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। नाम रखा गया नारायण दत्त। अंग्रेजों को चुनौती देते रहे। लाठी खाई और जेल भी गए। नैनीताल, हल्द्वानी, बरेली के स्कूलों में शुरुआती पढ़ाई पूरी की। उच्च शिक्षा के लिए इलाहाबाद (अब प्रयागराज) पहुंचे। सन 1947 में देश जब आजाद हुआ, तो वह इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के निर्वाचित छात्रसंघ अध्यक्ष थे।

        तिवारी ने तीन बार उत्तर प्रदेश की कमान संभाली। वह 1976, 1985 और 1988 में यूपी के मुख्यमंत्री बने। हालांकि एक भी बार वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं चला सके। उत्तराखंड की स्थापना के बाद वह 2002 से लेकर 2007 तक सीएम भी बने रहे। एन डी तिवारी, चौधरी चरण सिंह की सरकार में वित्त और संसदीय कार्य मंत्री रहे। राजीव गांधी कैबिनेट में विदेश मंत्री भी रहे। इसके साथ ही तिवारी ने राज्यसभा सांसद, आंध्र प्रदेश के राज्यपाल से लेकर योजना आयोग के डेप्युटी चेयरमैन भी रहे।

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