Thursday, November 21, 2024

        रामनामी समाज के लोगों का किया गया सम्मानित

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        अनेक सामाजिक संगठनों ने किया सम्मान

        कोरबा । प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर का सनातन धर्म के लोगों को इंतजार बना हुआ है। इस बीच उनसे जुड़ी यादें और उनसे प्रीति रखने वाले लोगों के प्रति हर किसी के मन में आदर भाव छलक रहा है। कोरबा में इसी श्रृंखला में एक कार्यक्रम गीतांजलि भवन में आयोजित किया गया जहां पर रामनामी समाज का सम्मान किया गया। विद्या भारती के छत्तीसगढ़ प्रांत अध्यक्ष जुड़ावन सिंह ठाकुर इस समारोह में मुख्य वक्ता रहे।

        छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों में रामनमी समाज की उपस्थिति बनी हुई है जो कोरबा में आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में आमंत्रित किए गए। रामनमी समाज सम्मान समारोह समिति ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया। भगवान श्री रामचंद्र जी की पूजा अर्चना व दीप प्रज्वलित के साथ यह कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। इस अवसर पर करुण सिंह द्वारा प्रभु श्रीराम व अयोध्या के निमित्त गीत का गायन किया।

        कार्यक्रम के संयोजक संतोष कुमार खरे ने कार्यक्रम का संचालन किया व विषय के बारे में जानकारी दी और आज के परिपेक्ष में इसके महत्व को दर्शाया। इस अवसर पर रामनमी समाज के बंधुओं द्वारा भजन के माध्यम से अपनी भूमिका की प्रस्तुति भी दी।
        कार्यक्रम के अंतर्गत कोरबा जिला के विभिन्न सामाजिक संगठन व समाज प्रमुखों की ओर से रामनमी समाज के आमंत्रित प्रतिनिधियों का अक्षत तिलक व वस्त्र श्रीफल से विशेष सम्मान किया गया। जैन समाज, शिख समाज, महाराष्ट्र मंडल, शिंधी समाज, उत्तराखंड समाज, ब्राह्मण समाज, राजपूत क्षत्रिय समाज, चेंबर ऑफ कॉमर्स तथा विभिन्न संगठन और संस्थाओं के लिए कार्य करने वाले विशिष्ट जन इस कार्यक्रम में शामिल हुए जिन्होंने रामनमी समाज को करीब से देखा और उनके बारे में जाना। उल्लेखनीय है की रामनमी समाज प्रभु श्रीराम की भक्ति अपने तरीके से करता है। अपने पूरे शरीर पर राम के नाम का गोदना गोदवाकर भजन कीर्तन करना उनकी जीवन पद्धति का एक प्रमुख हिस्सा है जो इन्हें सबसे अलग पहचान देता है।

        रामनामी संप्रदाय के रोम-रोम में बसते हैं राम : पूंजराम

        रामनामी समाज के सह सचिव पूंजराम रामनामी ने बताया की रामनामी समाज के लोगों के अनुसार शरीर में राम-राम शब्द अंकित कराने का कारण इस शाश्वत सत्य को मानना है कि जन्म से लेकर और मृत्यु के बाद भी पूरे देह को ईश्वर को समर्पित कर देना है। जब हमारी मृत्यु हो जाती है तो राम नाम सत्य है पंक्ति के साथ अंतिम संस्कार की ओर आगे बढ़ते हैं और राम नाम सत्य के उद्घोष के साथ ही पूरा शरीर राख में परिवर्तित हो जाता है। रामनामी समाज के लोग इस हाड़-मांस रूपी देह को प्रभु श्री राम की देन मानते है। रोम-रोम में राम की उपस्थिति मानते हैं।

        मानव तन ईश्वर का सबसे सुंदर रूप माना जाता है। रामनामी संप्रदाय के लोगों ने इस सुंदर रूप में राम को बसाकर उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा दिये हैं। उनकी भक्ति की श्रेष्ठ परंपरा के आगे हम सब नतमस्तक हैं।

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