Tuesday, October 22, 2024

      मरकजी सीरत कमेटी के अध्यक्ष मिर्जा आसिफ बेग सहित अन्य कमेटी ने प्रेस वार्ता कर दी ये जानकारी

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      एखलाक खान द्वारा लगाये गए आरोपों का किया खंडन

      एखलाक खान पर लगाए गंभीर आरोप, पेश किया दस्तावेज

      मिर्जा आसिफ बेग ने एखलाख खान के विरुद्ध कई संगीन आरोप लगाए,दस्तावेज किया पेश

      कोरबा।24 अगस्त को जामा मस्जिद के सेक्रेटरी हाजी एखलाक खान के द्वारा प्रेस वार्ता कर मरकजी सीरत कमेटी के अध्यक्ष मिर्जा आसिफ बेग (निशू) के विरुद्ध कई आरोप लगाए। हाजी एखलाक खान के द्वारा मरकजी सीरत कमेटी के अध्यक्ष के विरुद्ध हिसाब को लेकर आरोप लगाया जबकि मिर्जा आसिफ बेग के द्वारा पिछले कार्यकालों में कमेटी के द्वारा किए गए कार्यों का ब्यौरा समाज के नागरिको के मध्य रखते हुए सारा हिसाब-किताब चस्पा किया जा चुका है । मिर्जा आसिफ बेग ने बताया, हाजी एखलाक खान के द्वारा हिसाब-किताब चस्पा होने के बाद भी ऐसे आरोप लगाना समाज के बीच में भ्रम पैदा करना एवं बदनाम करने की साजिश है एवं समाज को बाटने का प्रयास किया जा रहा है।

      हाजी एखलाक खान के द्वारा कहा गया कि 11 अगस्त दिन शुक्रवार को हुई मरकज़ी सिरत कमेटी की बैठक की जानकारी उन्को नहीं दी गई जबकी उक्त बैठक के आयोजन का ऐलान स्वयं जामा मस्जिद में हाजी एखलाक खान के द्वारा किया गया था, मिर्जा आसिफ बेग के द्वारा स्वयं शहर की सारी मस्जिदों में ऐलान कराया गया ताकि समाज के बीच होने वाली महत्वपूर्ण बैठक की जानकारी समाज के लोगों को मिल सके। हाजी एखलाक खान के द्वारा 11 अगस्त की बैठक में मिर्जा आसिफ बेग को विभिन्न आरोप लगाते हुए अध्यक्ष पद से हटाए जाने के प्रस्ताव रखा जिसमें समाज के लोगों ने हाजी एखलाक खान के इस क्रित्य पर रोश व्यक्त किया, जिससे हाजी एखलाक खान उस मिटिंग से डर कर भाग खड़े हुए और समाज के बीच भ्रम फैलाने की नियत से मिर्जा आसिफ बेग पर अभद्र व्यवहार जैसा गंभीर आरोप लगाया । 11 अगस्त की बैठक का साक्षी केवल हाजी एखलाक खान नहीं, बल्कि कोरबा की पूरी आवाम है। हाजी एखलाक खान अपने डर को छुपाने के लिए कितना भी प्रयास कर ले आवाम उनकी मीठी-मीठी बातों पर नहीं आएगी।

      हाजी एखलाक खान ने मरकज़ी सिरत कमेटी के अध्यक्ष मिर्जा आसिफ बेग पर निराधार आरोप लगाते हुए मरकज़ी सिरत कमेटी को चंदा ना देने की बात कही है। सिरत कमेटी समाज की कमेटी है जो समाज के लिए धार्मिक आयोजन आदि के कार्यों का निर्वाहन करती है। विभिन्न कार्यो कार्यक्रमो में शहर को सजाया जाता है, रैलियाँ निकाली जाती है, समाज के कार्यों में जो खर्च आता है उस खर्च का वहन समाज के छोटे-छोटे चंदों से आता है जिसका हिसाब-किताब प्रति वर्ष सार्वजनिक बैठक करके समाज के लोगों को जानकारी दी जाती है और शहर की सारी मस्जिदों में चस्पा किया जाता है। यही सिलसिला वर्षों से चला आ रहा है। एखलाक खान के चंदा न दिये जाने की बात को आवाम ने नकार दिया है ।

      हाजी एखलाक खान द्वारा मरकज़ी सिरत कमेटी को भंग किये जाने की भ्रामक जानकारी मिडिया के माध्यम से समाज के बीच दी गई है जबकि 11 अगस्त की बैठक में शहर की आवाम ने मिर्जा आसिफ बेग के पूर्व कार्यकाल में कार्यो की प्रशंसा करते हुये पुनः सीरत कमेटी का अध्यक्ष बनाये जाने पर सहमति दी थी जिससे नाराज होकर और आसिफ बेग के विरुद्ध एखलाक खान द्वारा लगाये गए आरोपों से फैले हुए रोश से डरकर एखलाक खान मिटिंग से भाग खड़े हुए । उनके चले जाने बाद मेमन जमात ने बैठक की अध्यक्षता की एवं यह फैसला लिया कि इस वर्ष मिलादुन्नबी सारे मस्जिदों के ईमाम की सरपरस्ती एवं मेमन जमात की सरपरस्ती में निकाली जायेगी। इस पर विभिन्न कमेटी अपना समर्थन दिया ।

      मिडिया के माध्यम से मिर्जा आसिफ बेग ने एखलाक खान से सवाल पूछा- हाजी एखलाक खान जामा मस्जिद के सेक्रेटरी हैं जामा मस्जिद वक्फ बोर्ड के अधीन है मस्जिद के आय के विभिन्न स्त्रोत जैसे मस्जिद के दुकान एवं आवामी चंदा है। हाजी एखलाक खान द्वारा मस्जिद के दुकानों को बेचा जा रहा है किराये की राशियों का गबन किया जा रहा है जिसका मामला कोर्ट में विचाराधीन है। दादर मस्जिद में कुछ वर्ष पूर्व निर्माण के दौरान क्षेत्र के कुछ नागरिकों ने भूमि को शासकीय बताते हुए आपत्ती दर्ज करायी थी जबकि हाजी एखलाक खान की पारिवारिक सदस्य के द्वारा उक्त जमीन को निजी एवं पट्टे की जमीन बताते हुए पूरे जिले के मुस्लिम समाज को गुमराह कर सड़क पर उतार दिया गया जिससे शहर का माहौल बिगड़ चुका था उक्त जमीन शासकीय है इस बात की जानकारी हाजी एखलाक खान को पूर्व में ही थी । एखलाक खान ने समाज के लोगों को दंगे की आड़ में क्यो झोका ? सूत्रों के प्राप्त जानकारी के अनुसार दादर मस्जिद के संबंध में शासन-प्रशासन न्यायालय के कुछ फैसले पारित हुए हैं । उक्त सवालों की जानकारी हमें नहीं है।

      शासन-प्रशासन, न्यायालय का जो भी निर्णय होगा उसमें हमारी सहमति होगी – क्या एखलाक खान इस निर्णय से सहमत होंगे ? कुछ वर्ष पूर्व एखलाक खान लुतरा शरीफ दरगाह के अध्यक्ष हुआ करते थे । छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड ने हाजी एखलाक खान के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही करते हुए अध्यक्ष पद से हटाते हुए लगभग 36 लाख के घोटाले का आरोपी बनाया ! धार्मिक स्थल कमाई का साधन है ? एखलाक खान ने इतना बड़ा घोटाला (गबन) करके समाज के लोगों का सर झुकाया है।

      जामा मस्जिद कोरबा वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति आय-व्यय नहीं दी गई- युथ मुस्लिम कमेटी कोरबा द्वारा जामा मस्जिद कोरबा के सदर व सेक्रेटरी से जामा मस्जिद के आय-व्यय बचत की जानकारी मांगी गई थी परन्तु आज दिनांक तक सदर एवं सेक्रेटरी द्वारा जानकारी नहीं दी गई है । जामा मस्जिद सदर व सेक्रेटरी की निजी सम्पत्ति है. समाज को सार्वजनिक हिसाब देने से इतना डर क्यों?

      एखलाक खान पर लगा लाखों का गबन का आरोप इससे पहले भी लुतरा शरीफ गबन का मामला है- मरकजी सीरत कमेटी द्वारा प्रेस वार्ता में कहा गया कि विगत 17 वर्षों से एखलाक खान मुस्लिम समाज के स्वयंभू अध्यक्ष बने हुए थे इनके अध्यक्ष रहते हुए समिति द्वारा समाज को कोई सुविधा, नियम कानून, अनुशासन नहीं दिया गया, न ही कोई चुनावी व्यवस्था लागू की गई।समय के साथ लोग जागरुक होते गए एवं लोगों को इनके कथनी और करनी में अंतर समझ आने लगा और अपनी सामाजिक जमीन बचाने के लिए एखलाक खान ने मरकज़ी सिरत कमेटी के अध्यक्ष मिर्जा आसिफ बेग (निशू) के ऊपर गंभीर आरोप लगाये समाज के लोग गुमराह हो सके, एखलाक खान से मिर्जा आसिफ बेग (निशू) के ऊपर हिसाब-किताब नहीं देने का आरोप लगाया जबकि मिर्जा आसिफ बेग (निशू) ने सार्वजनिक बैठक करके मरकज़ी सिरत कमेटी का हिसाब-किताब उस बैठक में मौखिक रूप से दिया है एवं मस्जिदों में अवलोकन हेतु चस्पा दिया है इस प्रकार का सार्वजनिक झूठ बोल कर क्या एखलाक खान मिर्जा आसिफ बेग (निशू) को बदनाम कर रहे हैं या स्वयं बेनकाब हो रहे हैं । मस्जिद के पंच कमेटी के सर्व सहमति से बैठक कर मिर्जा आशिक बैग को निर्विरोध सदर चुना गया है।

      प्रेस वार्ता के दौरान आसिफ खान (सदर सुन्नी मुस्लिम जमात), मिर्जा आशिफ (सदर मरकजी जमात), मोसिन मेमन (सेक्रेटरी मरकजी जमात), आरिफ खान नूरी मस्जिद अध्यक्ष, फारूक मेमन अध्यक्ष मेहमान जमात, मकबूल खान सरफरस मुस्लिम जमात, गुलाम मेमन अध्यक्ष यंग मेमन कमेटी, वसीम अकरम सदस्य यूथ मुस्लिम कमेटी मौजूद रहे।

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