तीर्थ स्थानों पर मुंडन संस्कार कराने का है धार्मिक विधान
राजिम। राजिम छत्तीसगढ़ में महानदी के संगम तट पर स्थित सुप्रसिद्ध तीर्थ है। इसे छत्तीसगढ़ का प्रयाग भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि सृष्टि के आरंभ में भगवान विष्णु के नाभि से निकला कमल यहीं पर स्थित था और ब्रम्हा जी ने यहीं से सृष्टि की रचना की इसलिए इसका नाम कमल क्षेत्र पड़ा। धार्मिक आस्था एवं श्रद्धा का केंद्र होने के कारण यहां अस्थि विसर्जन, पिण्ड दान, श्राद्ध एवं तर्पण, मुंडन संस्कार के कार्य भी किए जाते हैं। छत्तीसगढ़ के इस प्रयाग नगरी राजिम में इन दिनों राजिम कुंभ कल्प मेला का आयोजन हो रहा है, जिसमें पूरे प्रदेश के अलावा देश एवं विदेशों से भी लोग पहुंच रहे हैं।
मेला में पहुंचने वाले कई श्रद्धालु अपने बच्चों का मुंडन भी कर रहे हैं। भारतीय संस्कृति में बच्चों का तीर्थ स्थानों पर मुंडन संस्कार कराने का धार्मिक विधान है। मंदिर के पास बैठे भरत सेन, कृष्णा सेन और मुन्ना सेन ने बताया कि जब से राजिम में कुंभ मेला शुरू हुआ है तब से प्रतिदिन दर्जन भर से ज्यादा श्रद्धालु यहां आकर अपने बच्चों का मुंडन संस्कार करवा रहें है। उन्होंने आगे बताया कि इन दिनों मुंडन संस्कार कराने वालो की संख्या कम होती है लेकिन माघी पुन्नी और शिवरात्रि सहित अन्य विशेष पर्व स्नान के दौरान यह संख्या काफी अधिक बढ़ जाती है। कभी-कभी तो ऐसी नौबत आ जाती है कि हमें अपने सहयोग के लिए अन्य सहयोगियों को बुलाना पड़ता है।
श्री कुलेश्वर महादेव मंदिर के पास यादराम साहू एवं उसके परिवार ने नन्हे शिशु का मुंडन संस्कार कराया। उन्होंने बताया कि वे यहां प्रतिवर्ष आते हैं और धार्मिक कार्य पूजन, कथा कर भगवान कुलेश्वर महादेव का आशीर्वाद प्राप्त करते है। राजिम सोढूर, पैरी और महानदी का संगम होने के कारण इसे पवित्र माना जाता है इसलिए एक वर्ष होने पर हम अपने बालक का मुंडन कराने आये है।