कोरबा।जिले के कटघोरा तहसील के भिलाई बाजार गांव के ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं के समाधान के लिए प्रशासन और एसईसीएल (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) प्रबंधन के खिलाफ उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। ग्रामीणों का कहना है कि उनकी समस्याओं को लेकर प्रशासन द्वारा किए गए आश्वासनों का पालन नहीं किया गया है, जिससे गांववासियों में भारी आक्रोश व्याप्त है।
समस्याओं को लेकर हुए थे कई दौर की बैठकें
ग्राम के सरपंच और प्रतिनिधि मंडल ने दिनांक 16 मई 2024 को जिला कार्यालय में अपनी समस्याओं को लेकर प्रशासन को अवगत कराया था। प्रशासन द्वारा तुरंत कार्यवाही का आश्वासन देते हुए दो दिवसीय शिविर का आयोजन करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन इसके पालन में केवल 22 मई 2024 को एक दिवसीय शिविर का आयोजन किया गया। उस शिविर में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कटघोरा शाम 4 बजे पहुंचे, तब तक सभी ग्रामीण वापस जा चुके थे। इससे ग्रामीणों में भारी रोष उत्पन्न हो गया।
अनुविभागीय अधिकारी की कार्यशैली पर सवाल
इसके बाद, गांव और एसईसीएल प्रबंधन के बीच बैठक 24 मई 2024 को तय की गई थी, जिसकी गांव में मुनादी भी करा दी गई थी। लेकिन, अनुविभागीय अधिकारी ने इस बैठक को स्थगित करवा दिया और एसईसीएल प्रबंधन को निर्देशित किया कि सरपंच की उपस्थिति के बिना बैठक नहीं की जाए। इसके बाद 10 जून 2024 को ग्राम सचिव के माध्यम से सरपंच और पंचायत प्रतिनिधियों को अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय में बुलाया गया, जहां एसईसीएल संबंधित मुद्दों पर दबाव बनाया गया।
गांव में जबरदस्ती नापी करने का विरोध
ग्रामीणों का आरोप है कि 11 जून 2024 को, अनुविभागीय अधिकारी ने अधीनस्थ कर्मचारियों और एसईसीएल गेवरा क्षेत्र के अधिकारियों को पोटा केबिन के लिए जबरदस्ती नापी करने का निर्देश दिया, जिसका ग्रामीणों ने पुरजोर विरोध किया। इस घटना से ग्रामीणों में भारी आक्रोश है और उन्होंने अनुविभागीय अधिकारी के तत्काल स्थानांतरण की मांग की है।
त्रिपक्षीय वार्ता का उल्लंघन
ग्रामवासियों ने यह भी आरोप लगाया है कि नवंबर 2022 में हुए त्रिपक्षीय वार्ता के दौरान यह निर्णय लिया गया था कि जब तक सभी शासकीय संस्थाओं का निर्माण नई बसाहट में नहीं होता, तब तक पुराने संस्थाओं को यथावत संचालित किया जाएगा। लेकिन, इसके विपरीत प्रशासन द्वारा पोटा केबिन की समस्या थोपी जा रही है, जिसका गांव में पूरी तरह विरोध किया जा रहा है।
ग्रामवासियों ने मांग की है कि:
- त्रिपक्षीय वार्ता कर बसाहट स्थल, मुआवजा राशि की दर, शासकीय भवनों और धार्मिक स्थलों का निर्माण कार्य तुरंत प्रारंभ किया जाए।
- जब तक कार्य पूर्ण नहीं होता, भिलाई बाजार क्षेत्र में खनन कार्य और हैवी ब्लास्टिंग बंद की जाए।
- एसईसीएल गेवरा के अधीनस्थ निजी कंपनियों में बेरोजगार युवकों और युवतियों को रोजगार उपलब्ध कराया जाए।
ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से आग्रह किया है कि सात दिनों के भीतर उनकी समस्याओं का स्थाई समाधान किया जाए। अन्यथा, वे उग्र आंदोलन करने पर विवश होंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी एसईसीएल प्रबंधन और जिला प्रशासन की होगी।