6 मई 2025 की वो रात इतिहास में लाल अक्षरों से लिखी जाएगी। एक ऐसी रात जब देश के वीर सपूतों ने खून के आँसू रो रहे सिंदूर को उसकी खोई हुई गरिमा लौटाई। “ऑपरेशन सिंदूर” केवल एक सैन्य रणनीति नहीं थी, वह उन चूड़ियों की चुप चीख थी, जिनके जीवनसाथी पहलगाम की घाटियों में आतंक की कायरता का शिकार हो गए थे। 25 भारतीयों और एक नेपाली नागरिक की नृशंस हत्या के प्रतिशोध में भारत ने जो उत्तर दिया, वह न्याय का प्रचंड जयघोष था।
यह हमला उन विधवाओं की मांग का उत्तर था, जिनका सिंदूर आतंक की बारूद में राख हो गया था। “ऑपरेशन सिंदूर” उस हर नारी के सम्मान की पुनर्स्थापना था, जो अपने पति की वीरगति को रोते हुए भी मातृभूमि की जय बोलती है।
भारतीय सशस्त्र बलों ने सिर्फ शत्रु को नहीं कुचला — उन्होंने हमारी आत्मा पर लगे कलंक को धो डाला। उन्होंने बता दिया कि भारत सहनशील अवश्य है, परंतु जब उसकी अस्मिता पर वार होता है, तो वह चट्टान से प्रहार करता है।
रात के अंधकार में जब पूरी दुनिया निश्चिंत थी, तब भारत के रणबांकुरों ने सीमाओं के पार जाकर आतंकी ठिकानों को खाक कर दिया। ये सिर्फ मिसाइलें नहीं थीं — ये हर शहीद की माँ के आँसुओं में पलती प्रतिज्ञा थीं, ये हर बच्चे की लोरी में छुपे प्रतिशोध की गूँज थीं।
हम नमन करते हैं उन जवानों को जिन्होंने यह दिखाया कि भारतीय सेना न सिर्फ़ सरहद की रक्षा करती है, बल्कि देश की आत्मा की भी रखवाली करती है।
सिंदूर अब सिर्फ श्रृंगार नहीं, प्रतिशोध का प्रतीक है। भारत अब चुप नहीं रहेगा।
शहीदों की हर बूँद अब चट्टान का उत्तर बनेगी।
जय हिन्द!
वन्दे मातरम्!