Wednesday, December 18, 2024

        छत्तीसगढ़ राजभाषा दिवस पर विशेष लेख महेंद्र सिंह मरपच्ची के कलम से…

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        “छत्तीसगढ़ी भाखा के मान अऊ सम्मान के दिशा म एक नवा पहल”

        “छत्तीसगढ़ी भाखा ल संजोय म मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के महत्वपूर्ण योगदान”


        एमसीबी/28 नवम्बर 2024/ जय जोहार जय छत्तीसगढ़ ! आप सब मन भलीभाती जानथव कि छत्तीसगढ़ी अपन समृद्ध भाखा, संस्कृति अउ परंपरा खातिर पूरा देश म अपन अलग पहिचान बना लिहिस हे। इहा के माटी, तिहार, लोककला अउ संस्कृति जीवन जिये के तरीका म एक अलग ही मिठास झलकथे। हमर छत्तीसगढ़ के आत्मा हर जम्मों छत्तीसगढ़ियां मन के बोली अउर भाखा में बसे हे। इ भाखा म केवल बात करे के साधन नइ हे, बल्के हमर छत्तीसगढ़ियां भाई बहिनि के परंपरा, रीति-रिवाज अउ हमर संस्कृति के अमूल्य धरोहर हर झलकत हे। छत्तीसगढ़ी भाखा के सम्मान अउ प्रचार-प्रसार के खातिर हमर तत्कालिन सरकार हर 28 नवंबर के दिन ल “छत्तीसगढ़ राजभाषा दिवस” बनाये के घोषणा करे रहिस। एही दिन हमर भाखा के महत्त्व ल पहिचान करे बर, अउ ओला संजोय बर, अउ नई पीढ़ी ला छत्तीसगढ़ के जम्मों इतिहास से जोड़य के अवसर आय हे। छत्तीसगढ़ राजभाषा दिवस के शुरुआत हर 28 नवंबर 2007 के होइस, जब छत्तीसगढ़ी भाषा ल आधिकारिक रूप म राज्य के राजभाषा के दर्जा मिलिस। ये ऐतिहासिक फैसला ल डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व म पूर्ववर्ती सरकार हर अपनाये रहिस ये निर्णय हर केवल भाषा के प्रचार-प्रसार के माध्यम नइ बने रहिस, बल्कि ये छत्तीसगढ़वासियन के खातिर एक गौरव के विषय बन गईस। एकर बाद छत्तीसगढ़ी भाखा ल सरकारी दफ्तर, स्कूल अउ कॉलेज म भी बढ़ाये के काम ल शुरू करे गइस ।
        छत्तीसगढ़ी भाखा के इतिहास, भाषा, संस्कृति अउ प्राकृत भाषा ले उभरिस हे। छत्तीसगढ़ी म लोकगीत, कहानी, कहावत अउ जनवला जइसन साहित्यिक धरोहर समेटे हावे। ये भाखा हर हमर लोकजीवन, परंपरा अउ रीति-रिवाज के सच्चा प्रतिबिंब आय। छत्तीसगढ़ी लोकगीत अउ कथा ये छत्तीसगढ़ी भाखा ल अउ जियादा सुघ्घर अउ जीवंत बनावत हे। छत्तीसगढ़ राजभाषा दिवस केवल तिहार नइ, बल्कि हमर भाखा अउ संस्कृति के जीवित रखे अउ ओकर नई ऊँचाई म पहुंचाय के संकल्प के प्रतीक आय। ये दिन पूरा छत्तीसगढ़ म अलग-अलग सांस्कृतिक अउ शैक्षणिक कार्यक्रम होथे। संगोष्ठी, निबंध लेखन, कविता पाठ, लोकगीत अउ नाटक के आयोजन घलो होथे। ये कार्यक्रम मन केवल भाषा अउ संस्कृति के प्रति जागरूकता नइ फैलाथे, बल्कि लोगन ल अपन जड़ से भी जोड़थे। आज के समय म छत्तीसगढ़ी भाखा अउ संस्कृति ल नई दिशा देहे में हमर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के बहुत बडे योगदान हे। ओकर मानना हे कि छत्तीसगढ़ी भाखा केवल संवाद के माध्यम नइ हे, बल्कि हमर छत्तीसगढ़ के आत्मा अउ पहचान आय। हमर मुख्यमंत्री के दूरदर्शी सोच अउ नीति के कारण छत्तीसगढ़ी भाषा अउ संस्कृति के संरक्षण अउ विकास के खातिर नवा जोश आइस हे।
        शिक्षा म छत्तीसगढ़ी भाखा ल बढ़ावा देय बर स्कूल अउ कॉलेज के पाठ्यक्रम म छत्तीसगढ़ी साहित्य अउ संस्कृति ल सामिल करे गय हे। सरकारी दफ्तर म छत्तीसगढ़ी भाखा के उपयोग ल बढ़ाय खातिर भी जरूरी नीति लागू करे गय हे, ऐकर ले हमर राजभाषा हर छत्तीसगढ़ी म अउ मजबूत बने हे। हमर मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व म छत्तीसगढ़ी साहित्य, लोकगीत अउ नाट्यकला के संरक्षण अउ विकास के खातिर विशेष योजना बनाये जाथ हे। हमर लोक कलाकार अउ साहित्यकार मन ल प्रोत्साहित देहे के खातिर कई ठन आर्थिक सहायता कार्यक्रम ल चलावत हे। छत्तीसगढ़ी साहित्य अकादमी के स्थापना, साहित्यिक मेला अउ डिजिटल प्लेटफॉर्म में छत्तीसगढ़ी भाखा के प्रोत्साहन, ल आगे बढ़ाये के प्रयास करत हे। राजभाषा दिवस के कार्यक्रम मन लोगन ल अपन भाषा अउ संस्कृति के महत्त्व ल समझावत हे। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय मानथें कि हमर भाषा अउ संस्कृति हमर राज्य के एकता अउ पहचान ल मजबूत करथे। छत्तीसगढ़ राजभाषा दिवस हर हम सबला ये बात के याद दिलाथे कि भाषा अउ संस्कृति कोनो भी समाज के आत्मा होथे। जऊन समाज अपन भाखा अउ संस्कृति ल जिंदा रखथे, वही समाज हर अपन पहचान ल बनाय राखथे। मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय के नेतृत्व म छत्तीसगढ़ी भाखा अउ संस्कृति ल नई ऊँचाई मे पहुंचाय के प्रयास हे छत्तीसगढ़िया बर गौरव के बात आय कि आज ये अवसर म हम सबला ये संकल्प लेना चाही कि अपन भाखा अउ संस्कृति ल केवल संरक्षित करबो, बल्कि हमर बोली भाखा ल अगली पीढ़ी तक पहुंचाय के जिम्मेदारी ला भी निभाबो। छत्तीसगढ़ी भाखा हमर राज्य के आत्मा अउ सांस्कृतिक गौरव के प्रतीक आय। ऐला सहेजे अउ सम्मान करे बर हमर हर छत्तीसगढ़ियां के जिम्मेदारी हर आय। हम सब मिलके अपन-अपन प्रयास से अपन धरोहर ल अउ मजबूत बनाय बर काम करबो।

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