Thursday, June 19, 2025

            देखरेख एवं संरक्षण वाले बालको को पारिवारिक वातावरण प्रदान करने की है सुविधा

            Must read

              पोषण देख रेख क्या है ?
              फास्टर केयर, देखरेख एवं सरंक्षण की आवश्यकता वाले बालकों के लिए परिवारिक वातावरण प्रदान करने का उपाय है, जो बाल देखरेख संस्थाओं में निवासरत है एवं दत्तक ग्रहण हेतु से निर्मुक्त है। पात्र गैर नातेदार परिवारों का चयन कर, इन बालकों को उन्हें अल्पकाल अथवा आवश्यकतानुसार विस्तार योग्य अवधि के लिए देखरेख एवं संरक्षण के लिये सौंपा जाता है।

              फॉस्टर परिवार बनने के लिए आवेदन कहां किया जा सकता है ?

              जिले में फॉस्टर केयर के क्रियान्वयन के लिए जिला बाल संरक्षण इकाई नोडल प्राधिकरण होती है। आप अपने जिले की जिला बाल संरक्षण ईकाई महिला एवं बाल विकास विभाग से संपर्क कर विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते है तथा निर्धारित प्रपत्र में आवश्यक दस्तावेजों सहित आवेदन कर सकते है।

              फॉस्टर परिवार का चयन कौन करता है ?

              जिला बाल संरक्षण ईकाई महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आवेदित परिवार का गृह अध्ययन संपादित कराया जाता है। परिवार के साक्षात्कार एवं सत्यापन के बाद उनकी पोषण देखरेख की क्षमता का आंकलन किया जाता है। पात्र पाये जाने पर जिला बाल संरक्षण ईकाई किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 27 के तहत गठित बाल कल्याण समित्ति को अपनी अनुशंसा भेजती है जो समुचित निर्णय लेती है।

              क्या आप पोषक परिवार के लिए सही विकल्प हो सकते है ?

              आप पोषक परिवार बन सकते हैं, जिसकी योग्यता /आर्हताएं इस प्रकार हैं –
              पति-पत्नी दोनों भारतीय नागरिक हों।

              पति-पत्नी दोनों की सहमति होनी चाहिए एवं उसी बच्चे को पोषण देखरेख में लेने के लिए एकमत होने चाहिए।

              पति-पत्नी का 02 साल से स्थिर वैवाहिक संबंध होना चाहिए

              एकल व्यक्ति के लिए लागू योग्यतायें :-

              अविवाहित/विधवा/विधुर/तलकशुदा / कानूनी रूप से विवाह विच्छेदित।

              एकल महिला कोई भी लिंग का बच्चा (लड़का अथवा लड़की) पोषण देखरेख में ले सकती है।

              एकल पुरुष केवल बालक (लड़का) को पोषण देखरेख में ले सकते हैं।

              दोनों के लिए लागू योग्यतायें:-

              भावी पालक शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आर्थिक रूप से सक्षम होना चाहिए।

              कोई जानलेवा/संक्रामक बीमारी / चिकित्सीय स्थिति नहीं होनी चाहिए।

              किसी भी प्रकृति के आपराधिक कृत्य में दोषी नहीं पाया गया होना चाहिए या बाल अधिकारों के उल्लंघन के किसी भी मामले में कथित रूप से शामिल या आरोपित नहीं पाया जाना चाहिए।

              भावी पालक को एक ऐसे वातावरण प्रदान करने के लिए वचनबद्ध होना पड़ेगा जिसमें बच्चे का विकास हो और बच्चे को पूरा प्यार दुलार और समर्थन प्राप्त हो।

              नोट-दत्तक ग्रहण के लिए CARINGS पोर्टल में पंजीकृत परिवार पोषण देखरेख के लिए पात्र नहीं होंगे।

              बच्चे को पोषण देखरेख में लेने की आयु सीमा

              6 वर्ष से 12 वर्ष की आयु तक के बालक के लिए पोषक पालक के रुप में
              विवाहित दम्पत्ति के लिए न्यूनतम आयु 70 वर्ष एवं अधितम 110 वर्ष है। इसी तरह एकल माता पिता की न्यूनतम आयु 35 वर्ष एवं अधितम आयु 55 वर्ष निश्चित की गई है। इसी प्रकार 12 वर्ष से 18 वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए पोषक पालक के रूप में विवाहित दंपत्ति के लिए न्यूनतम आयु 70 वर्ष और अधिकतम आयु 115 वर्ष । न्यूनतम आयु एकल माता/पिता के लिए 35 वर्ष तथा अधिकतम आयु 60 वर्ष निर्धारित किया गया है।

              पोषण देखरेख के पात्र बच्चे

              निम्न श्रेणी के बच्चों को पोषण देखरेख में पुनर्वास किया जा सकता है-

              6-18 वर्ष के आयु के बच्चे जो 2 वर्ष से अधिक समय से बाल देखरेख संस्थाओं में रह रहे है और दत्तक ग्रहण के लिए वैधानिक रूप मुक्त घोषित नही किये गये है।

              ‘हार्ड टू प्लेस बच्चे’ ऐसे बच्चे जिन्हे दत्तक ग्रहण में जाने में कठनाई हो रही है।

              नों विज़िटेशन – ऐसे बच्चे जो बाल देखरेख संस्था में निवासरत है तथा जिनके माता-पिता/अभिभावक पिछले 1 वर्ष या उससे अधिक समय से मिलने नही आये है।

              ‘अन्फिट गार्डियन’ ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता/अभिभावक जो बच्चों के पालन पोषण और देखभाल करने में असमर्थ / इच्छुक नहीं है।

              देखरेख और संरक्षण वाले सभी बच्चे जो बाल देखरेख संस्थाओं में निवासरत है।

              समुदाय में निवासरत देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले तथा विशेष आवश्यकता वाले सभी बच्चे ।

              एक पोषक परिवार के नाते मेरी बच्चे के प्रति क्या जिम्मेदारियाँ होंगी?

              उन्हें घरेलू वातावरण उपलब्ध करना।

              दुलार, देखभाल और सम्मान देना।

              उनकी शिक्षा की व्यवस्था करना।

              उनके स्वास्थ का ध्यान देना तथा आवश्यकता पड़ने पर / आपातकालीन स्थिति में तत्काल चिकित्सीय सेवा उपलब्ध कराना।

              विभिन्न क्रियाकलापों में आवश्यकतानुसार मार्गदर्शन एवं सहायता उपलब्ध करना।

              उनकी पहचान को गोपनीय रखना तथा उनकी निजता का सम्मान करना।

              किसी प्रकार के प्रशिक्षण की आवश्यकता हो तो उसे आवश्यकतानुसार पूरा कराना।

              नोट-पोषक / परिवार / अभिभावक न्यूनतम 2 वर्षों तक सफलतापूर्वक पोषण देखरेख में बालक को रखने के पश्चात उसी बच्चे को दत्तक में प्राप्त कर सकते हैं।
              *पालक देखभाल कार्यक्रम के तहत निधियों को स्वीकृत और जारी करने की प्रक्रिया –

              1. बच्चें को पालने के इच्छुक दंपति/परिवार निर्धारित प्रारूप में जिला बाल संरक्षण ईकाई को आवेदन करेंगे।
              2. जिला बाल संरक्षण ईकाई के सामाजिक कार्यकर्ता और पुलिस से पृष्ठभूगि सत्यापन द्वारा गृह अध्ययन रिपोर्ट तैयार किया जायेगा। परिवार की आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक पृष्ठभूमि को भी ध्यान रखा जायेगा।
              3. बच्चों को पालने के लिए उपयुक्त परिवार के रूप में स्वीकार किए जाने से पूर्व, परिवारों को बच्चों को पालने की जिम्मेदारियां समझाने का परामर्श दिया जायेगा और उनकी मानसिक तैयारी के बारे में मूल्यांकन किया जायेगा।
              4. पोषक परिवार वित्तीय सहायता का मांग सकता है यदि उसकी वार्षिक आय 8 लाख रू. प्रति वर्ष या महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा समय समय पर निर्धारित सीमा से कम हो।
              5. दत्तक ग्रहण या जैविक विस्तारित परिवारों के साथ पुर्नवास करने में असमर्थ बच्चों के संबंध में, पालक देखभाल के लिए विचार किया जा सकता है।
              6. जिला बाल संरक्षण अधिकारी बच्चे और भावी पालक माता-पिता के बीच परिचायात्मक बैठक आयोजित करेगा। पोषण देखरेख तभी सक्रिय की जा सकती है जब बच्चा पालक गाता-पिता/परिवार के साथ रहने के लिए तैयार हो।
              7. पोषण देखरेख (Foster Care) का अनुमोदन जिला मजिस्ट्रेट द्वारा किया जाएगा।
              8. जिला बाल संरक्षण ईकाई जिले के सरकारी अस्पताल / जिला चिकित्सा अधिकारी/सिविल सर्जन से बच्चे के स्वास्थ्य की वार्षिक जांच करा सकता है और तरो जिला बाल संरक्षण ईकाई के सामाजिक कार्यकर्ता या पहुँच कार्यकर्ता से घर और स्कूल की जांच रिपोर्ट सहित पोषण देखरेख सहयोग की समीक्षा और समय विस्तार के लिए प्रायोजन और पालक देखभाल अनुमोदन समिति के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है।
              9. जिला बाल संरक्षण ईकाई द्वारा बच्चों और परिवारों का पर्यवेक्षण किया जाएगा और इसमें घर और स्कूल के तिमाही दौरे शामिल होंगे।
              10. स्कूल जाने की आयु के सभी पालक बच्चे, अच्चे की विकलांगता या बीमारी के विशेष मामलों जिसे जिला बाल संरक्षण ईकाई द्वारा सत्यापित किया जाएगा, के सिवाय नियमित रूप से औपचारिक स्कूली शिक्षा में शामिल होंगे।
              11. यदि किसी भी समय बच्चे को संस्थागत रूप देना है तो पोषण देखरेख सहायता बंद कर दी जाएगी। विशेष जरूरतों वाले बच्चों को छोड़कर, स्कूल जाने वाले बच्चों की 30 दिनों से अधिक समय तक स्कूल में उपस्थिति अनियमित पाई जाने पर, पोषण देखरेख सहयोग की रानीक्षा की जाएगी और उसे निलंबित कर दिया जाएगा।
              12. पोषण देखरेख में बच्चों की संख्या-एक पोषक परिवार में अधिकतम दो बच्चों को पोषण देखरेख की जाएगी

              (सहोदर को छोडकर) को पुनर्वासित किया जा सकता है जिसमें जैविक बच्चों को मिलाकर यह संख्या चार से अधिक नही होनी चाहिए।

              पोषण देखरेख की अवधि

              अल्प अवधि के लिए पोषण देखरेख में संरक्षण हेतु एक वर्ष से अधिक समय सीमा नही होगी तथा दीर्घकाल के लिए बच्चे तथा परिवार के बीच समायोजन एवं अनुकूलता के आधार पर बालक की आयु 18 वर्ष होने तक बढ़ायी जा सकती है।

              पोषण देखरेख और दत्तक ग्रहण में अंतर

              पोषण देखरेख

              यह व्यवस्था अस्थायी है।

              बच्चों से सम्बंधित सारे निर्णय बाल कल्याण समिति द्वारा, जिला बाल संरक्षण इकाई अधता चच्चे के जैविक माता-पिता (यदि वे उपलब्ध हों) के साथ परामर्श कर के लिए जाते हैं।

              पोषक माता पिता को किसी प्रकार की वित्तीय सहायता तभी तक मिलेगी जय तक कोई बच्चा उनके पास है

              किसी बच्चे के पोषण देखरेख हेतु पुनर्वास का आदेश बाल कल्याण समिति द्वारा दिया जाता है। किसी बच्चे के पोषण देखरेख हेतु पुनर्वास का आदेश बाल कल्याण समिति द्वारा दिया जाता है तथा जिला मजिस्ट्रेड द्वारा अनुमोदन किया जाता है

              दत्तक ग्रहण

              यह व्यवस्था स्थायी है।

              बच्चे को गोद लेने उपरांत उसके दशक माता-पिता को उसके बारे में सारे निर्णच लेने का वैधानिक अधिकार होता है।

              गोद लेने वाले माता-पिता को किसी प्रकार की वित्तीय सहायता नहीं मिलती है।

              गोद लिए जाने हेतु आदेश जिला मजिस्ट्रेट द्वारा दिया जाता है।

              विस्तृत जानकारी के लिए राज्य बाल संरक्षण समिति संचानालय महिला एवं बाल विकास एवं कार्यालय जिला बाल कल्याण एवं संरक्षण समिति महिला एवं बाल विकास विभाग जिला-समस्त (छ.ग.) में संपर्क किया जा सकता है।

              Wकिसी की मुस्कुराहटों की वजह बने, गर्व करे कि आप फॉस्टर परिवार है।
              असंख्य बच्चे परिवार की देखरेख एवं संरक्षण से वंचित हैं, आपकी पहल उनके सुखद भविष्य की नींव हो सकती है। कदम बढ़ायें, बच्चों का जीवन खुशहाल बनायें।
              इस सम्बंध में अन्य जानकारी हेतु इस नम्बर 9827487461 पर सम्पर्क किया जा सकता है।

                    More articles

                    - Advertisement -

                            Latest article