मेरे अधिकार कॉलम राइटर – एडवोकेट मीनाक्षी अग्रवाल
हिन्दू मैरिज एक्ट 1955 की धारा 25 में महिलाओं के गुजारा भत्ता के लिए प्रावधान बताए गए है l में महिलाओं को विवाह में मिले सभी उपहारों को अपने पास रखने का पूर्ण अधिकार होता है। शादी में मिले उपहार, चाहे वे पिता पक्ष से हो या ससुराल पक्ष या अन्य से, सभी पर स्त्री का ही अधिकार होता है।
विवाह के पश्चात यदि स्त्री को गुजारा भत्ता नहीं मिल रहा है तो वह उसके लिए बोल सकती है। चाहे वह पति के साथ ना भी रहती हो समय और स्थिती को देखते हुए वह अपने गुजारे के लिए भत्ते की अधिकारिणी होती है !
जो स्त्रियाँ बिना विवाह के पुरुष के साथ सम्बन्ध में हैं व गर्भवती हो जाती हैं वे स्त्रियाँ भी बच्चे के भरण- घोषण के लिए भत्ते की अधिकारिणी होती है l
यदि कोई महिला अपने इन अधिकारों से वंचित है व चाहती है कि उसे ये अधिकार मिलें तो वह कानून का सहारा ले सकती हैं,
आपकी वकील मित्र
मीनाक्षी अग्रवाल 9424205406