कृषि उत्पादन आयुक्त शहला निगार की अध्यक्षता में कृषि एवं संबद्ध विभागों की हुई संभागीय बैठक
खरीफ वर्ष 2024 की प्रगति तथा रबी वर्ष 2024-25 के कार्यक्रम पर हुई चर्चा
सरगुजा। राज्य शासन में कृषि उत्पादन आयुक्त शहला निगार की अध्यक्षता में शुक्रवार को कृषि एवं संबद्ध विभागों की संभागीय बैठक आयोजित की गई। बैठक में खरीफ वर्ष 2024 की प्रगति तथा रबी वर्ष 2024-25 के कार्यक्रम पर चर्चा की गई। बैठक में एपीसी श्रीमती शहला ने बैठक में कहा कि धान के अतिरिक्त अन्य फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देते हुए फसल विविधीकरण पर फोकस किया जाए। कृषि एक तकनीकी विषय है। कृषि के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन हेतु कम अवधि, कम पानी की उपयोगिता वाली फसलों, नई तकनीकों के इस्तेमाल पर जोर दिया जाए जिससे कम परिश्रम में अधिक उत्पादन प्राप्त हो और किसानों को लाभ हो। उन्होंने कहा कि जिलों में किसान क्रेडिट कार्ड बनाए जाने एवं इसके माध्यम से ऋण वितरण और बीज उत्पादन को बढ़ावा देने में विशेष रूप से ध्यान दें। सरगुजा संभागीय क्षेत्र की जलवायु के अनुरूप तिलहन, गेहूं, मक्का जैसे फसलों को बढ़ावा दिया जाए। यहां फलों और सब्जियों के उत्पादन के अनुकूल वातावरण है। शासकीय रोपणियों को आर्थिक रूप से सशक्त करने सार्थक प्रयास किया जाए। उन्होंने कहा कि परिणाम मूलक प्रयास करना प्राथमिकता हो। उन्होंने शासन की मंशा अनुरूप मत्स्य और दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में भी कार्ययोजना बनाकर प्राथमिकता से कार्य करने के निर्देश दिए। राज्य स्तर पर सरगुजा संभाग में डेयरी उत्पादन को बड़े स्तर पर बढ़ावा देने की जानकारी देते हुए उन्होंने कलेक्टरों को जिले की क्षमता और संसाधनों की रिपोर्टिंग के निर्देश दिए।
बैठक में संचालक कृषि डॉ सारांश मित्तर, संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं डॉ प्रियंका शुक्ला, संचालक उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी एस जगदीशन, संचालक मत्स्य नारायण सिंह नाग भी उपस्थित रहे। सभी विभागाध्यक्षों ने अपने विभाग से संबंधित जानकारी एवं शासन की मंशा अनुरूप कार्ययोजना, लक्ष्य और चुनौतियों की जानकारी देते हुए जिलों के विभागीय अधिकारियों का मार्गदर्शन किया।
संभागायुक्त जीआर चुरेंद्र ने बैठक में संभाग के सभी अधिकारियों को उनके क्षेत्र की दशा एवं उपलब्ध संसाधनों में बेहतर कृषि नवाचारों की पहल के साथ परम्परागत तरीकों को अपनाने की बात कही।
बैठक में संभाग के सभी जिलों से कलेक्टर मौजूद रहे। जिले के कलेक्टरों ने अपने जिले की विस्तृत जानकारी पीपीटी के माध्यम से बैठक में प्रस्तुत की। साथ ही सरगुजा में मक्का उत्पादन क्षेत्र बढ़ाने, मैनपाट में सेब उत्पादन की तैयारी, स्ट्रॉबेरी और नाशपाती को बढ़ावा देने के प्रयासों की जानकारी दी गई। बलरामपुर से पाट क्षेत्रों में चाय और सेब उत्पादन की योजना, मक्का, सरसों और रागी उत्पादन, मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले से शूकर अथवा पोल्ट्री फार्म, हल्दी उत्पादन को बढ़ाने, बकरी पालन को बढ़ावा देने, जशपुर से चाय बागान की अच्छी गुणवत्ता और सफल उत्पादन, मक्का क्षेत्र विस्तार, कोरिया से मूंगफली उत्पादन को बढ़ाने का प्रयास और मधुमक्खी पालन, सूरजपुर से गेंदा, ग्लेडोलियस खेती की संभावनाओं, वनाधिकार पत्र धारी किसानों को मिलेट कृषि से जोड़ने, आलू प्रदर्शन, बेहतर सिंचाई व्यवस्था संबंधित जानकारी दी गई। बैठक में सरगुजा कलेक्टर विलास भोसकर, बलरामपुर रामानुजगंज कलेक्टर रिमिजियुस एक्का, एमसीबी कलेक्टर डी. राहुल वेंकट, जशपुर कलेक्टर डॉ रवि मित्तल, कोरिया कलेक्टर चंदन त्रिपाठी और सूरजपुर कलेक्टर रोहित व्यास सहित समस्त सीईओ जिला पंचायत, संभाग के समस्त जिलों से कृषि एवं संबद्ध विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।
बैठक में सभी जिलों से विभिन्न एजेंडा पर जानकारी ली गई जिसमें ग्रीष्मकालीन धान के बदले दलहन-तिलहन, मक्का, उद्यानिकी एवं नगद फसलों के प्रतिस्थापन की कार्ययोजना, खरीफ 2025 में धान का रकबा कम करने की रणनीति एवं सुझाव, जिले की रबी 2025-26 की संभावित बीज मांग के दृष्टिगत रबी 2024-25 में फसलवार बीज उत्पादन कार्यक्रम की कार्ययोजना, रबी मौसम 2025-26 में कृषकों का अल्प-कालीन कृषि ऋण वितरण में वृद्धि हेतु रणनीति एवं धान के अलावा अन्य फसलों के अल्प-कालीन फसल ऋण उनके रकबे के अनुपात में वितरण कराने संबंध में किये जा रहे प्रयास, खरीफ एवं रबी में 10 वर्ष के अंदर विमुक्त फसल किस्मों को बढ़ावा देने के संबंध में कार्ययोजना, राज्य में पशु प्रोटीन युक्त भोज्य पदार्थ की उपलब्धता की समीक्षा, 21वीं पशु संगणना के संबंध में तैयारी, उद्यानिकी, पशुपालन एवं मत्स्य कृषकों, समूहों के किसान क्रेडिट कार्ड में वृद्धि हेतु रणनीति एवं तुलनात्मक वृद्धि, जनपद एवं ग्राम पंचायतों के क्षेत्राधिकार में आने वाले तालाबों/जलाशयों को मछली पालन हेतु पट्टे पर दिये जाने रणनीति, फसल बीमा योजना की समीक्षा, आगामी वित्तीय वर्ष में विशेष एवं नवाचारी कार्यों, प्रचलित योजनाओं को प्रभावी बनाने हेतु सुझाव आदि बिंदु शामिल रहे।