Saturday, July 27, 2024

    देवउठनी एकादशी के पावन पर्व पर तुलसी विवाह का किया गया आयोजन

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    देवउठनी एकादशी के पावन पर्व पर तुलसी विवाह का किया गया आयोजन

    कोरबा:- प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर देवउठनी एकादशी के पावन पर्व पर बृहद पैमाने पर तुलसी विवाह का आयोजन किया गया।इसी क्रम में कोरबा जिले के रजगामार में जगदीश प्रसाद अग्रवाल द्वारा अपने निवास स्थान पर तुलसी विवाह का आयोजन किया गया। जिसमें सगा संबधी सहित बहुत संख्या में ग्रामवासियों ने अपनी सहभागिता निभाई और इस पुनीत कार्य में हिस्सा लिया।

    जगदीश प्रसाद द्वारा बताया गया कि पांच विद्वान पंडितों द्वारा पूरे विधि विधान से तुलसी विवाह संपन्न कराया गया।

    राधा कृष्णा मंदिर से निकाली गई भगवान श्री शालिग्राम का बारात

    रजगामार के श्री राधा कृष्ण मंदिर से भगवान श्री शालिग्राम की बारात गाजे बाजे के साथ आतिशबाजी करते हुए धूमधाम से निकाली गई, जो नगर के मुख्य मार्ग का भ्रमण करते हुए जगदीश प्रसाद के निवास स्थान पर पहुंची। जहां विद्वान पंडितों के द्वारा भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह संपन्न कराया गया।तुलसी विवाह में सम्मिलित सभी श्रद्धालुओं को भोग भंडारा के साथ प्रसाद वितरण किया गया।

    क्या है पौराणिक मान्यता

    पौराणिक मान्यता अनुसार आषाढ़ शुक्ल की देवशयनी एकादशी से चर्तुमास तक भगवान विष्णु पाताल लोक में विश्राम करते हैं। कार्तिक माह के देवउठनी एकादशी पर देवों को जाग्रत करने की परंपरा निभाई जाती है।चार महीनों तक भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हैं। आम बोलचाल और परंपराओं में इसे ही भगवान का सोना कहा जाता है। इसके बाद भगवान विष्णु कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर जागते हैं। इन चार महीनों में मांगलिक काम नहीं होते हैं।सिर्फ पूजा-पाठ, उपासना और साधना ही की जाती है।देवउठनी एकादशी,तुलसी विवाह से अब वैवाहिक समेत अन्य मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे।

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