कोरबा। केंद्र सरकार ने सर्प दंश से हो रही मृत्यु को 2030 तक आधा करने के लिए एक्शन प्लान बनाया है। सर्पदंश प्रबंधन पर 24 व 25 मार्च को कार्यशाला का आयोजन राजीव गांधी ऑडिटोरियम में होगा।
इस आयोजन से जुड़े स्नैक रेस्क्यूअर जितेन्द्र सारथी ने बताया कि छत्तीसगढ़ 44% वनों से आच्छादित राज्य है जिसमें 70% आजीविका कृषि अथवा इससे संबंधित कार्यों से होती है। ऐसे में सांपों के साथ आमना-सामना होना एक सामान्य बात है लेकिन ऐसे में सर्प दंश की संभावनाएं भी बढ़ रही हैं।
सर्प दंश की समस्या साल दर साल बढ़ती जा रही है। पिछले पांच सालों में 17000 सर्प दंश की घटनाएं राज्य से हुई हैं और एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में सर्प दंश से मृत्यु दर में छत्तीसगढ़ तीसरे स्थान पर हैं जो बेहद ही चिंता जनक हैं। जागरूकता की कमी होना, सांपों की ठीक ढंग से पहचान ना होना, मुख्य चिकित्सा केंद्रों से दूरी आदि कुछ ऐसे कारण है जिनसे सर्प दंश में मृत्यु की घटनाएं बढ़ती हैं। यदि पीड़ित व्यक्ति ठीक भी हो तो उसमें कई प्रकार के अन्य अवांछित प्रभाव भी होते हैं।
सर्प दंश से होने वाली मौत को रोकने के लिए राज्य सरकार एवं स्वास्थ विभाग लगातार जागरूकता लाने की कोशिश भी कर रही है। लेकिन आज भी कई ऐसी समस्याएं हैं जिनका समाधान करना अति आवश्यक हैं। केंद्र सरकार ने सर्प दंश से हो रही मृत्यु को 2030 तक आधा करने के लिए एक्शन प्लान भी बनाया है।
इसी दिशा में पहली बार छत्तीसगढ़ राज्य के कोरबा जिले में कई जिलों के डॉक्टर और पीएचसी स्टॉफ, विद्यार्थी, वन विभाग, स्वास्थ्य विभाग, राजस्व विभाग, अशासकीय संस्थाएं आदि एक मंच पर सर्प दंश प्रबंधन कार्यशाला में उपस्थित होंगे।
इस कार्यक्रम में सर्प दंश से संबंधित विभिन्न समस्याओं पर चर्चा होगी, बाहर से अलग- अलग विषयों के एक्सपर्ट आयेंगे जो इस समस्या का हल निकालने में मदद करेंगे। इस कार्यक्रम को कोरबा वन मण्डल और नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के तत्वाधान में करवाया जा रहा हैं, इसकी तैयारी भी शुरू कर दी गई है। अनुमान लगाया जा रहा हैं करीब 500 डॉक्टर, नर्स इस कार्यशाला में शामिल होंगे। यह कार्यशाला राजीव गांधी ऑडिटोरियम, इंदिरा स्टेडियम परिसर में 24 मार्च,सोमवार को प्रातः 11:30 बजे से प्रारम्भ होगी व 25 मार्च को समापन होगा।