Saturday, November 23, 2024

        अखिलेश यादव के हाथ में जिस नेता का हाथ देख रहे हैं उनका मायावती से रहा है गहरा नाता पैदल मार्च के जरिए अखिलेश यादव ने दे दिया है बड़ा राजनीतिक संदेश

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        उत्तर प्रदेश में विपक्ष की राजनीति को लेकर तरह-तरह की बातें हो रही थीं। अखिलेश यादव के कैडर वोट बैंक में बिखराव की बातें कही जा रही थी। दावा था कि आजम खान नाराज हैं। इस कारण मुस्लिम वोट बैंक अखिलेश यादव से छिटक सकता है। आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट पर हुए उप चुनाव के बाद से समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश की राजनीतिक दांव-पेंच पर भी सवाल खड़े होने लगे थे। लेकिन, यूपी विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान जिस प्रकार से अखिलेश यादव ने अपने रुख में बदलाव किया है, वह हैरान करने वाला है। हार की निराशा से इतर रोड पर उतरने से अखिलेश यादव हिचक नहीं रहे। जोश हाई दिख रहा है। लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर पार्टी अपनी तैयारियों को हर स्तर पर तैयार करती दिख रही है। इसी दौरान शुक्रवार को यूपी विधानसभा मॉनसून सत्र के आखिरी दिन अखिलेश यादव आखिरकार सड़क पर उतरे ही नहीं, चले भी। उनकी इस दौरान आई एक तस्वीर कई सियासी मायने बताती, समझाती नजर आ रही है। तस्वीरों में लालजी वर्मा हैं, जो अखिलेश के साथ हाथ थामे आगे बढ़ते दिख रहे हैं।

        अखिलेश यादव ने यूपी विधानसभा की कार्यवाही का बहिष्कार करने का निर्णय लिया। अमूमन प्रश्नकाल के दौरान कोई प्रदर्शन नहीं होता है। इसे जनता के मुद्दों को विधानसभा में उठाने का समय माना जाता है। लेकिन, अखिलेश यादव ने देखा कि यूपी विधानसभा में सत्ता पक्ष की बेंच पर बड़े नेताओं का अभाव है। दरअसल, सीएम योगी आदित्यनाथ प्रदेश के बाढ़ प्रभावित इलाकों का जायजा लेने गए हुए थे। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक भी दौरे पर हैं। ऐसे में अखिलेश यादव ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में विद्यार्थियों की फीस बढ़ोत्तरी को लेकर चल रहे आंदोलन, महिला सुरक्षा, आजम खान के खिलाफ कार्रवाई और कानून व्यवस्था का मसला उठाकर सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करने का निर्णय लिया।

        अखिलेश यादव जैसे ही कार्रवाई का बहिष्कार कर विधानसभा के गलियारे में पहुंचे तो पांच दिन पहले जो अधूरा पैदल मार्च छोड़ा था, उसे पूरा करने का निर्णय लिया। हालांकि, सोमवार को रूट सपा कार्यालय से यूपी विधानसभा का था। शुक्रवार को अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा विधायक यूपी विधानसभा से पार्टी कार्यालय तक के लिए निकले। पिछली बार प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रदर्शन न करने की बात प्रशासन ने उन्हें रोका था। इस बार प्रशासन को भनक भी नहीं लगी। प्रदर्शन कामयाब रहा।

        नेता का हाथ थामना बना चर्चा का विषय
        यूपी विधानसभा से सपा कार्यालय तक पैदल मार्च करते जाने के दौरान अखिलेश यादव कुछ समय तक एक नेता का हाथ थामे नजर आए। मीडिया के कैमरों में यह मोमेंट कैद हो गया। इसके बाद इसके राजनीतिक निहितार्थ निकाले जाने लगे। अखिलेश ने यूं ही नेता का हाथ नहीं थामा था, यह पूरे घटनाक्रम का विश्लेषण करने पर समझ में आएगा। दरअसल, अखिलेश ने जिस नेता का हाथ थामा था, वह कभी बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती के राइट हैंड हुआ करते थे। जी हां, हम बात कर रहे हैं अंबेडकरनगर की कटेहरी विधानसभा सीट से विधायक लालजी वर्मा की। लालजी वर्मा ने अखिलेश यादव का लेफ्ट हैंड थाम रखा था। इसको लेकर बड़ा संदेश अखिलेश यादव ने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी को दे दिया।

        दरअसल, मायावती ने पिछले दिनों ट्वीट कर अखिलेश यादव को निशाने पर लिया था। उन्होंने कहा था कि विपक्ष को कभी इतना लाचार नहीं देखा। पिछले पांच दिनों में दूसरी बार सड़क पर उतर कर अखिलेश ने उन्हें संदेश दे दिया कि मुख्य विपक्षी दल के रूप में समाजवादी पार्टी लाचार नहीं है। वह मुद्दों को गंभीरता से उठा रही है। सरकार को निशाने पर भी ले रही है और अपने वोट बैंक को भी साध रही है।

        बसपा के कद्दावर, अब अखिलेश ने लिया हाथों हाथ
        लालजी वर्मा बहुजन समाज पार्टी के कद्दावर नेता रहे थे। उनकी गिनती पार्टी के बड़े नेताओं में होती थी। पांच बार विधायक और तीन बार मंत्री रह चुके लालजी वर्मा ने यूपी चुनाव 2022 से पहले वे सपा से जुड़े। इससे पहले वे बसपा में प्रदेश अध्यक्ष तक रह चुके थे। मायावती का काफी करीबी नेता उन्हें माना जाता था। लालजी वर्मा ने टांडा विधानसभा सीट से चार बार जीत हासिल की थी। वर्ष 2012 में पहली बार उन्होंने कटेहरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और हार गए। वर्ष 2017 में दूसरी बार चुनावी मैदान में उतरे और जीत मिली। इसके बाद वर्ष 2022 में सपा के टिकट से कटेहरी से चुनावी मैदान में उतरे और जीते। अब उनके साथ अखिलेश यादव की जुगलबंदी ने मायावती को बड़ा संदेश दे दिया है।

        संदेश तो राजभर के लिए भी है?
        अखिलेश यादव ने यूपी चुनाव 2022 में सहयोगी रहे सुहेलदेव भारतीय समाज को भी बड़ा संदेश दे दिया है। दरअसल, सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर लगातार अखिलेश यादव पर एसी कमरे से राजनीति करने का आरोप लगाते रहे हैं। उन्होंने अखिलेश यादव को एसी कमरे से बाहर निकलकर चुनाव लड़ने की बात कही। इस पर राजनीति गरमाई। आखिरकार ओप राजभर ने सपा से नाता तोड़ने का ऐलान कर दिया। अखिलेश ने पिछले पांच दिनों में दूसरी बार रोड पर उतर कर संदेश दे दिया, अब संग्राम सदन से सड़क तक होगा।

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