Saturday, November 8, 2025

            कई श्रमिक “ब्लैक लंग” जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित, हाईकोर्ट चिंतित है श्रमिकों की उपेक्षा से

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              छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों में श्रमिकों की स्वास्थ्य सुरक्षा और औद्योगिक नियमों के क्रियान्वयन पर कड़ी कार्रवाई का आदेश

              बिलासपुर/कोरबा। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, बिलासपुर ने वाद संख्या WPPIL 87/2016, 98/2016 और 110/2017 में सुनवाई करते हुए कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों (Coal Fired Thermal Power Plants – CFTPPs) में श्रमिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की उपेक्षा पर गहरी चिंता व्यक्त की। अदालत ने राज्य सरकार को इन संयंत्रों की पुनः जाँच कराने और श्रमिकों की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया है।

              अदालत की सुनवाई और टिप्पणियाँ

              सुनवाई के दौरान न्यायालय ने मामले से जुड़े न्याय मित्र (Amicus Curiae) और कोर्ट कमिश्नरों द्वारा प्रस्तुत विभिन्न रिपोर्टों का अवलोकन किया। इन रिपोर्टों में कोयला संयंत्रों में श्रमिकों की खराब स्वास्थ्य स्थिति और नियमों के उल्लंघन की जानकारी दी गई। राज्य सरकार की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट में यह स्वीकार किया गया कि निरीक्षण के दौरान कई संयंत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं और सुरक्षा मानकों की कमी पाई गई है। हालांकि, अदालत ने इस बात पर नाराजगी जताई कि इन उल्लंघनों पर कार्रवाई करने में देरी हुई।

              मुख्य मुद्दे:
              1. स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी:
              संयंत्रों में कई श्रमिक “ब्लैक लंग” जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित पाए गए। रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया कि श्रमिकों के वार्षिक स्वास्थ्य जांच के नाम पर केवल दिखावटी रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
              2. नियमों का उल्लंघन:
              • छत्तीसगढ़ फैक्टरी नियम, 1962 के नियम 131 और 131-A के तहत श्रमिकों की स्वास्थ्य जांच और उचित चिकित्सा सुविधा सुनिश्चित करना अनिवार्य है।
              • अधिकांश संयंत्रों में इन नियमों का पालन नहीं किया गया।
              3. अतिरिक्त निरीक्षण का आदेश:
              अदालत ने राज्य सरकार को सभी कोयला संयंत्रों का पुनः निरीक्षण करने और स्वास्थ्य केंद्र, एंबुलेंस सुविधाओं की स्थिति की जाँच करने का निर्देश दिया।
              4. श्रमिकों की पुनः जांच:
              अदालत ने आदेश दिया कि सभी श्रमिकों की स्वास्थ्य जांच सरकारी अस्पतालों में कराई जाए और इसकी रिपोर्ट पेश की जाए।

              राज्य सरकार का उत्तरदायित्व:
              राज्य सरकार ने बताया कि श्रमिकों के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों की पहचान और समाधान के लिए नई नियुक्तियाँ की गई हैं। 2024 में 42 नए सर्टिफाइंग सर्जन नियुक्त किए गए हैं। हालांकि, अदालत ने इस पर असंतोष व्यक्त किया और इन उपायों को अपर्याप्त बताया।

              कोर्ट के निर्देश:
              1. स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार:
              सभी संयंत्रों में स्वास्थ्य केंद्रों और एंबुलेंस सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने का आदेश।
              2. कोयला धूल का नियंत्रण:
              संयंत्र परिसर में कोयला धूल के स्तर की जाँच और उसे नियंत्रित करने के लिए उपकरण लगाने का निर्देश।
              3. प्रमुख रिपोर्ट पेश करने का निर्देश:
              • स्वास्थ्य केंद्रों और एंबुलेंस की उपलब्धता पर एक विस्तृत रिपोर्ट।
              • श्रमिकों की पुनः जांच और उनके स्वास्थ्य पर विस्तृत जानकारी।

              अंतिम निष्कर्ष:
              छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार और संबंधित संयंत्रों को श्रमिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य संबंधी नियमों का पालन करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि श्रमिकों की सुरक्षा में लापरवाही स्वीकार्य नहीं है और सभी प्रावधानों को सख्ती से लागू किया जाना

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