Saturday, April 26, 2025

        जीवन को संवारने के लिए सत्संग आवश्यक: पंडित द्विवेदी

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          मुड़ापार में शिव पुराण कथा के पहले दिन कलश यात्रा

          कोरबा। कोरबा के मुड़ापार क्षेत्र में शिव महापुराण कथा का सात दिवसीय आयोजन महिला समिति के द्वारा किया गया है । रविवार को इसका शुभारंभ हुआ। पूर्वान्ह में कथा स्थल से एसईसीएल कॉलोनी शिव मंदिर तक कलश यात्रा निकाली गई जिसमें कथावाचक सहित काफी संख्या में महिलाएं और बालिकाएं शामिल हुई। आयोजन स्थल पर यात्रा की वापसी हुई और वरुण पूजन की परंपरा पुरी की गई।

          शिव महापुराण कथा के प्रथम दिवस श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए पंडित दशरथ नंदन द्विवेदी ने कहां की ओम नमः शिवाय अत्यंत शक्तिशाली मंत्र है जिसमें मानव मात्र के कल्याण की सात्विक और सकारात्मक ऊर्जा शामिल है । भगवान शिव वैसे भी अपने भक्तों पर पूरी उदारता से कृपा करते हैं इसलिए उनका मंत्र उनके जीवन को और भी बेहतर करता है ।। वैदिक मन्त्रों की शक्तियों के बारे में भी उन्होंने विस्तार से व्याख्या की और मार्गदर्शन किया । शिव महापुराण के पहले अध्याय के अंतर्गत कथावाचक पंडित द्विवेदी ने बताया कि शिवजी ने पार्वती जी का मार्गदर्शन किया कि कि उन्होंने मन को एकाग्र करके दिव्य सहस्त्रों वर्षों तक तपस्या की । तपस्या के बाद उन्होंने नेत्रों को खोला, जिससे आंसू निकले। इन आंसुओं की बूंदों से गौड़ प्रदेश से लेकर मथुरा, काशी, अयोध्या, मलयाचल, और सशस्त्र पर्वत जैसे प्रदेशों में रुद्राक्ष के पेड़ पैदा हो गए। इससे रुद्राक्ष की महिमा और बढ़ गई। शिवजी और पार्वती जी ने भी इसकी महिमा का वर्णन किया। सर्व सामान्य की जिज्ञासा के समाधान की कड़ी में बताया गया कि सभी वर्णों के लोग उपलब्धता के आधार पर विविध रंग के रुद्राक्ष की माला पहन सकते हैं।

          श्रद्धालुओं को कथा श्रवण कराते हुए पंडित दशरथ नंदन द्विवेदी ने कहा कि शिव महापुराण कथा अपने आप में चमत्कारिक है और इसीलिए वैश्विक स्तर पर इससे जुड़े हुए आयोजन की निरंतर श्रृंखला चल रही है। उन्होंने कहा कि मूल रूप से व्यक्ति का पूरा जीवन यह जानने में लग जाता है कि इस धरा धाम पर उसका जन्म आखिर किस उद्देश्य के लिए हुआ ? वास्तविकता यह है कि हमारा जन्म अपने पूर्व जन्म के प्रतिफल को पाने और भगवान का भजन करने के लिए हुआ है। पंडित द्विवेदी ने स्पष्ट किया कि यदि हमने पूर्व जन्म में लोक कल्याण और समाज के लिए बहुत अच्छे कर्म किए होंगे तो इस जन्म में प्रतिफल के रूप में हमें आनंद की प्राप्ति होगी। कई प्रकार के उदाहरण के साथ उन्होंने अपनी बात को स्पष्ट किया और यह भी कहा कि अपने जीवन को संवारने के लिए सत्संग अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए अनिवार्य शर्त यह नहीं कि आप किसी बड़े पंडाल में जाएं और बहुत अधिक समय तक रहे। वैचारिक रूप से समृद्ध लोगों की संगति और उनसे प्राप्त सकारात्मक ऊर्जा आपके जीवन को सही रास्ता दिखा सकती है और आप दूसरों के लिए प्रेरणा बन सकते हैं।

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